Book Name:Hirs kay Nuqsanaat or Qana_at ki Barkaat
ज़ियादा मालदार कौन है ? अल्लाह पाक ने इरशाद फ़रमाया : वोह शख़्स जो मेरी दी हुई चीज़ पर सब से ज़ियादा क़नाअ़त करने वाला है ।
( ابنِ عساکر ، موسیٰ بن عمران بن یصھر بن قامث، ۶۱ / ۱۳۹، رقم:۷۷۴۱ )
नबियों के सुल्त़ान, रह़मते आलमिय्यान صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने ज़ीशान है : لَيْسَ الْغِنٰى عَنْ كَثْـرَةِ الْعَرَضِ ، وَلَكِنَّ الْغِنٰى غِنَى النَّفْسِ मालदारी येह नहीं कि साज़ो सामान की कसरत हो बल्कि अस्ल मालदारी तो दिल का मालदार होना है । ( صحیح البخاری، کتاب الرقاق، باب الغنی غنی النفس، ۴ / ۲۳۳، حدیث۶۴۴۶ )
ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह बिन अ़म्र رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا फ़रमाते हैं, नबिय्ये अकरम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : قَدْ اَفْلَحَ مَنْ اَسْلَمَ، وَرُزِقَ كَفَافًا، وَقَنَّعَهُ اللهُ بِمَا اٰتَاهُ बेशक कामयाब हो गया वोह शख़्स जो इस्लाम लाया और उसे ब क़दरे किफ़ायत रिज़्क़ दिया गया और अल्लाह पाक ने उसे जो कुछ दिया उस पर क़नाअ़त भी अ़त़ा फ़रमाई ।
( مسلم، کتاب الزکاۃ، باب فی الکفاف والقناعۃ، ص۵۲۴، حدیث: ۱۰۵۴ )
रह़मते आलम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : اَلْقَنَاعَۃُ کَنْـزٌ لَا یَفْنٰی क़नाअ़त कभी न ख़त्म होने वाला ख़ज़ाना है ।
( الزھد الکبیر، ص۸۸، حدیث: ۱۰۴ )
ह़ज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से मरवी है कि ताजदारे रिसालत, शहनशाहे नुबुव्वत صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने दुआ की : اَللّٰھُمَّ اجۡعَلۡ رِزۡقَ اٰلِ مُحَمَّدٍ قُوۡتاً ऐ अल्लाह पाक ! मुह़म्मद (صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) की आल को सिर्फ़ ज़रूरत के मुत़ाबिक़ रिज़्क़ अ़त़ा फ़रमा । ( مسلم، کتاب الزکاۃ، باب فی الکفاف والقناعۃ، ص۵۲۴، الحدیث:۱۰۵۴ )