Hirs kay Nuqsanaat or Qana_at ki Barkaat

Book Name:Hirs kay Nuqsanaat or Qana_at ki Barkaat

करने और नेकियों का ह़रीस बनने की तरग़ीब इरशाद फ़रमाई है । आइये ! इस ज़िमन में तीन फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनते हैं :

1इरशाद फ़रमाया : जो शख़्स अपनी दुन्या से मह़ब्बत करता है, वोह अपनी आख़िरत को नुक़्सान पहुंचाता है और जो शख़्स अपनी आख़िरत से मह़ब्बत करता है, वोह अपनी दुन्या को नुक़्सान पहुंचाता है, पस फ़ना होने वाली (दुन्या) पर बाक़ी रहने वाली (आख़िरत) को तरजीह़ दो ।  ( مسند امام احمد،  حدیث ابی موسی الاشعری،  ۷ / ۱۶۵،  حدیث۱۹۷۱۷ )  

2.  इरशाद फ़रमाया : حُبُّ الدُّنْیَا رَأسُ کُلِّ خَطِیْئَۃٍ दुन्या की मह़ब्बत हर गुनाह की अस्ल है ।  ( موسوعۃ لابن ابی الدنیا،  کتاب ذم الدنیا،  الجزء الاوّل،  ۵ / ۲۲،  حدیث۹ )

3. इरशाद फ़रमाया : اَحْرِصْ عَلٰی مَا یَنْفَعُکَ وَاسْتَعِنْ بِاللّٰہِ وَلَا تَعْجِزْ उस चीज़ पर ह़िर्स करो जो तुम्हें नफ़्अ़ दे, अल्लाह पाक से मदद मांगो और आजिज़ न हो जाओ ।  ( مسلم،  کتاب القدر،  باب فی الامر بالقوۃ…الخ،   حدیث:۲۶۶۴،  ص۱۴۳۲ )

शारेहे़ मुस्लिम, ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ल्लामा शरफ़ुद्दीन नववी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इस आख़िरी ह़दीसे पाक के तह़्त लिखते हैं : यानी अल्लाह पाक की इ़बादत में ख़ूब ह़िर्स करो और इस पर इनआम का लालच रखो मगर इस इ़बादत में भी अपनी कोशिश पर भरोसा करने के बजाए अल्लाह करीम से मदद मांगो ।  ( شرح نووی،  باب الایمان للقدر و الاذعان لہ،  الجزء:۱۶،   ۸ / ۲۱۵ملخصاً )

        ह़कीमुल उम्मत, मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : ख़याल रहे कि दुन्यावी चीज़ों में क़नाअ़त और सब्र अच्छा है मगर आख़िरत की चीज़ों में ह़िर्स और बे सब्री आला है, दीन के किसी दरजे पर पहुंच कर क़नाअ़त न कर लो, आगे बढ़ने की कोशिश करो । (मिरआतुल मनाजीह़, 7 / 112)

        سُبْحٰنَ اللہ मालूम हुवा, हर ह़िर्स बुरी नहीं बल्कि जो ह़िर्स आख़िरत से मुतअ़ल्लिक़ा उमूर पर मबनी हो वोह क़ाबिले तारीफ़ है । येह भी पता चला कि इन्सान कितनी ही नेकियां कर ले मगर नेकियों की ह़िर्स में कमी नहीं आनी