Book Name:Hirs kay Nuqsanaat or Qana_at ki Barkaat
शाफे़ए़ उमम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने मुअ़ज़्ज़म है : जो शख़्स यूं दुरूदे पाक पढ़े, उस के लिये मेरी शफ़ाअ़त वाजिब हो जाती है ! ! !
( الترغیب والترہیب ج۲ص۳۲۹، حدیث ۳۱ )
{5} छे लाख दुरूद शरीफ़ का सवाब :
اَللّٰھُمَّ صَلِّ عَلٰی سَیِّدِنَامُحَمَّدٍعَدَدَمَافِیْ عِلْمِ اللّٰہِ صَلَاۃً دَآئِمَۃً بِۢدَوَامِ مُلْکِ اللّٰہِ
ह़ज़रते अह़मद सावी عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالھَادِی बा'ज़ बुज़ुर्गों से नक़्ल करते हैं : इस दुरूद शरीफ़ को एक बार पढ़ने से छे लाख दुरूद शरीफ़ पढ़ने का सवाब ह़ासिल होता है । ( ( اَفْضَلُ الصَّلَوات عَلٰی سَیِّدِ السّادات
{6} क़ुर्बे मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ :
اَللّٰہُمَّ صَلِّ عَلٰی مُحَمَّدٍکَمَا تُحِبُّ وَتَرْضٰی لَہٗ
एक दिन एक शख़्स आया तो ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने उसे अपने और सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ के दरमियान बिठा लिया । इस से सह़ाबए किराम رِضْوَانُ اللّٰہِ تَعَالٰی عَلَیْھِم اَجْمَعِیْن को तअ़ज्जुब हुवा कि येह कौन ज़ी मर्तबा है ! ! ! जब वोह चला गया, तो सरकार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : येह जब मुझ पर दुरूदे पाक पढ़ता है, तो यूं पढ़ता है । ( اَلْقَوْلُ الْبَدِیْع ص١٢٥ )
جَزَی اللّٰہُ عَنَّا مُحَمَّدًا مَا ھُوَ اَھْلُہٗ
ह़ज़रते सय्यिदुना इबने अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا से रिवायत है कि सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : इस को पढ़ने वाले के लिये सत्तर फ़िरिश्ते एक हज़ार दिन तक नेकियां लिखते हैं । ( ( مَجْمَعُ الزَّوَائِد
फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ : जिस ने इस दुआ को 3 मरतबा पढ़ा, तो गोया उस ने शबे क़द्र ह़ासिल कर ली । ( تاریخ ابنِ عساکر، ۱۹ / ۱۵۵، حدیث:۴۴۱۵ )
दुआ येह है :