Book Name:Hirs kay Nuqsanaat or Qana_at ki Barkaat
वोह क्या चीज़ें हैं ? आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने फ़रमाया : अ़ज़ीम मक़ासिद के लिये ह़ज करो, क़ियामत के त़वील दिन के पेशे नज़र सख़्त गर्मी में रोज़ा रखो, क़ब्र की वह़शत से बचने के लिये रात की तारीकी में नवाफ़िल पढ़ो, (उस) बड़े दिन में खड़े होने का ख़याल करते हुवे अच्छी बात कहो और बुरी बात से बाज़ रहो, क़ियामत की दुशवारी से बचने की उम्मीद पर अपने माल से सदक़ा अदा करो, दुन्या में दो मजलिसें इख़्तियार करो, एक त़लबे ह़लाल के लिये और दूसरी त़लबे आख़िरत के लिये, इन के इ़लावा तीसरी मजलिस का इरादा न करना क्यूंकि वोह फ़ाइदे के बजाए तुम्हें नुक़्सान पहुंचाएगी । इसी त़रह़ माल के दो ह़िस्से कर लो, एक ह़िस्सा अपने अहलो इ़याल पर ह़लाल त़रीके़ से ख़र्च करो और दूसरा अपनी आख़िरत के लिये आगे बढ़ा दो (या’नी सदक़ा कर दो), इन के इ़लावा कोई तीसरा ह़िस्सा न करना कि वोह तुम्हें फ़ाइदे के बजाए नुक़्सान पहुंचाएगा । फिर बुलन्द आवाज़ में पुकारते हुवे इरशाद फ़रमाया : ऐ लोगो ! ह़िर्स (से बचो कि इस) में तुम्हारे लिये हलाकत है, तुम ह़िर्स को कभी पूरा नहीं कर सकते हो ।
( صفۃ الصفوۃ، ابو ذر جُنْدُب بن جُنَادۃ، الجزء:۱، ۱ / ۳۰۱-۳۰۲، رقم:۶۴ )
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! वाके़ई़ हम में से हर एक को आख़िरत का त़वील सफ़र दरपेश है और काम्याबी से मन्ज़िले मक़्सूद तक पहुंचने के लिये बत़ौरे ज़ादे राह ब कसरत नेक आ’माल की ज़रूरत है, अगर क़ियामत के दिन नेकियों का पल्ड़ा भारी होने के लिये एक भी नेकी कम पड़ गई, तो मां-बाप, बहन भाई और बीवी बच्चों में से कोई भी काम न आएगा, लिहाज़ा अगर ह़रीस बनना ही है, तो नेकियों के ह़रीस बनना चाहिये कि हमारे प्यारे आक़ा, मदीने वाले मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने भी वक़्तन फ़-वक़्तन आख़िरत से मह़ब्बत