Hirs kay Nuqsanaat or Qana_at ki Barkaat

Book Name:Hirs kay Nuqsanaat or Qana_at ki Barkaat

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!        صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

क़ुरआने करीम में पारह 5, सूरतुन्निसा की आयत नम्बर 128 में ह़िर्स का ज़िक्र इन अल्फ़ाज़ के साथ किया गया है :

وَ اُحْضِرَتِ الْاَنْفُسُ الشُّحَّؕ       ( پ۵،  النسآء:۱۲۸ )

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और दिल को लालच के क़रीब कर दिया गया है ।

       तफ़्सीरे ख़ाज़िन में इस आयते मुबारका के तह़्त है : लालच दिल का लाज़िमी ह़िस्सा है क्यूंकि येह इसी त़रह़ बनाया गया है ।

  ( تفسیرِ خازن،  پ۵،  النسآء،  تحت الآیۃ: ۱۲۸،  ۱ / ۴۳۷ )

ह़िर्स किसी भी चीज़ की हो सकती है

       मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आम त़ौर पर येही समझा जाता है कि ह़िर्स का तअ़ल्लुक़ सिर्फ़ मालो दौलत के साथ होता है ह़ालांकि ऐसा नहीं क्यूंकि ह़िर्स तो किसी भी चीज़ की मज़ीद ख़्वाहिश करने का नाम है ख़्वाह वोह चीज़ माल हो या कुछ और । जैसा कि शैख़ुल ह़दीस, ह़ज़रते अ़ल्लामा अ़ब्दुल मुस्त़फ़ा आज़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ लिखते हैं : लालच और ह़िर्स का जज़्बा ख़ूराक, लिबास, मकान, सामान, दौलत, इ़ज़्ज़त, शोहरत, अल ग़रज़ ! हर नेमत में हुवा करता है । (जन्नती ज़ेवर, स. 111) चुनान्चे, मज़ीद माल की ख़्वाहिश रखने वाले को "माल का ह़रीस" कहेंगे, तो मज़ीद खाने की ख़्वाहिश रखने वाले को "खाने का ह़रीस" कहा जाएगा, इसी त़रह़ नेकियों में इज़ाफे़ के तमन्नाई को "नेकियों का ह़रीस" जब कि गुनाहों का बोझ बढ़ाने वाले को "गुनाहों का ह़रीस" कहेंगे ।

ह़िर्स किसे कहते हैं ?

        ह़कीमुल उम्मत, मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इरशाद फ़रमाते हैं : दराज़िये उ़म्र (यानी लम्बी उ़म्र) की आरज़ू अमल (यानी ख़्वाहिश) है और किसी चीज़ से सैर न होना, हमेशा ज़ियादती की ख़्वाहिश करना "ह़िर्स" (कहलाता है) । येह दोनों चीज़ें अगर दुन्या के लिये हैं, तो बुरी हैं (और) अगर