Madani Inamaat,Rahe Nijaat

Book Name:Madani Inamaat,Rahe Nijaat

हर दम फ़िक्रे मदीना

        मन्क़ूल है कि ह़ज़रते सय्यिदुना ह़सन बसरी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ चालीस बरस तक नहीं हंसे । रावी कहते हैं कि मैं जब भी उन को बैठे हुवे देखता, यूं मा'लूम होता गोया एक क़ैदी हैं जिसे गरदन उड़ाने के लिये लाया गया हो और जब गुफ़्तगू फ़रमाते, तो अन्दाज़ ऐसा होता गोया आख़िरत को आंखों से देख देख कर उस के अह़वाल बता रहे हों और जब ख़ामोश रहते, तो ऐसा मह़सूस होता गोया उन की आंखों के सामने आग भड़क रही है । जब उन से इस क़दर ग़मगीन व ख़ौफ़ज़दा रहने का सबब पूछा गया, तो फ़रमाया : मुझे इस बात का ख़ौफ़ है कि अगर अल्लाह पाक ने मेरे बा'ज़ ना पसन्दीदा आ'माल को देख कर मुझ पर ग़ज़ब फ़रमाया और येह फ़रमा दिया कि "जाओ ! मैं तुम्हें नहीं बख़्शता" तो इस सूरत में मेरे तमाम आ'माल ज़ाएअ़ हो जाएंगे । (احیاءعلوم  الدین، کتاب الخوف والرجاء ،۴/۲۳۱)

रोज़ाना फ़िक्रे मदीना

          ह़ज़रते सय्यिदुना अ़त़ा सुलमी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ जिन्हों ने ख़ौफ़े ख़ुदा की वज्ह से चालीस साल तक आसमान की त़रफ़ नहीं देखा और न ही किसी ने उन्हें मुस्कुराते हुवे देखा, इन के बारे में मन्क़ूल है कि आप रोज़ाना अपने नफ़्स को मुख़ात़ब कर के फ़रमाते : ऐ नफ़्स ! तू अपनी ह़द में रह और याद रख ! तुझे क़ब्र में भी जाना है, पुल सिरात़ से भी गुज़रना है, दुश्मन (या'नी आंकड़े) तेरे इर्द गिर्द मौजूद होंगे जो तुझे दाएं बाएं खींचेंगे, उस वक़्त क़ाज़ी, रब्बे करीम की ज़ात होगी और जेल, जहन्नम होगी जब कि उस के दारोग़ा सय्यिदुना मालिक (عَلَیْہِ السَّلَام) होंगे, उस दिन का क़ाज़ी (مَعَاذَ اللّٰہ عَزَّ  وَجَلَّ) ना इन्साफ़ी की त़रफ़ माइल नहीं होगा और न ही दारोग़ा कोई रिश्वत क़बूल करेगा और न ही जेल तोड़ना मुमकिन होगा कि तू वहां से फ़िरार हो सके । क़ियामत के दिन तेरे लिये हलाकत ही हलाकत है, येह भी नहीं मा'लूम कि फ़िरिश्ते तुझे कहां ले जाएंगे, इ़ज़्ज़त व आराम के मक़ाम "जन्नत" में या ह़सरत और तंगी की जगह "जहन्नम"