Book Name:Madani Inamaat,Rahe Nijaat
दिलाई गई है । चुनान्चे, पारह 28, सूरतुल ह़श्र की आयत नम्बर 18 में अल्लाह पाक इरशाद फ़रमाता है :
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ وَ لْتَنْظُرْ نَفْسٌ مَّا قَدَّمَتْ لِغَدٍۚ (پ۲۸،الحشر:۱۸)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरो और हर जान देखे कि उस ने कल के लिये आगे क्या भेजा है ।
इस आयत के तह़त "तफ़्सीरे इबने कसीर" में है कि अपना मुह़ासबा कर लो इस से पहले कि तुम्हारा मुह़ासबा किया जाए और ग़ौर करो कि तुम ने क़ियामत के दिन अल्लाह पाक की बारगाह में पेश करने के लिये नेक आ'माल का कितना ज़ख़ीरा जम्अ़ किया है । (تفسیر ابنِ کثیر،پ ۲۸،الحشر،تحت الآیۃ:۱۸،۸ / ۱۰۶)
अह़ादीसे करीमा में रह़मते आलम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने भी बारहा आ'माल का मुह़ासबा करने की तरग़ीब दिलाई है । आइये ! इस ज़िमन में तीन फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनते हैं ।
एह़तिसाब (या'नी फ़िक्रे मदीना) के मुतअ़ल्लिक़
- اِذَاہَمَمْتَ بِاَمْرٍ فَتَدَبَّرْ عَاقِبَتَہُ فَاِنْ کَانَ رُشْدًا فَاَمْضِہٖ وَاِنْ کَانَ غَیًّا فَانْتَہِ عَنْہُ जब तुम किसी काम को करना चाहो, तो उस के अन्जाम के बारे में ग़ौर कर लो, अगर वोह अच्छा है, तो उसे कर गुज़रो और अगर उस का नतीजा ग़लत़ हो, तो उस से बाज़ रहो । (کنزالعمال ، ۳ /۱۰۱،حدیث:۵۶۷۶)
- अ़क़्लमन्द के लिये एक साअ़त ऐसी होनी चाहिये जिस में वोह अपने नफ़्स का मुह़ासबा करे । (شعب الایمان، باب فی تعدید نعم اﷲ وشکرھا، فصل فی فضل العقل، ۴/۱۶۴، حدیث: ۴۶۷۷،مختصراً)
- فِکْرَۃُ سَاعَۃٍ خَیْر ٌمِّنْ عِبَادَۃِسِتِّیْنَ سَنَۃً (उमूरे आख़िरत में) घड़ी भर ग़ौरो फ़िक्र करना, साठ साल की इ़बादत से बेहतर है । (کنز العمال، ۳/۴۸،حدیث:۵۷۰۷)
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि क़ुरआने करीम और अह़ादीसे मुबारका में एह़तिसाब की किस क़दर तरग़ीब दिलाई गई है, लिहाज़ा