Book Name:Madani Inamaat,Rahe Nijaat
٭ग़ीबत से बचने वाले मदनी इनआम पर अ़मल करना क़ुर्बे मुस्त़फ़ा के ह़ुसूल का ज़रीआ है । सुल्त़ाने बह़रोबर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया कि जिस का माल कम हुवा और अहलो इ़याल ज़ियादा हुवे और नमाज़ अच्छी हुई और उस ने मुसलमानों की ग़ीबत न की, जब वोह क़ियामत के दिन आएगा, तो मेरे साथ इस त़रह़ होगा जैसे येह दो उंगलियां हैं । (مجمع الزوائد، کتاب الزھد ، باب فی من قلّ مالہ وکثر ت عیالہ، ۱۰/ ۴۴۹، حدیث: ۱۷۸۶۸)
٭मद्रसतुल मदीना बालिग़ान में क़ुरआने करीम पढ़ने, पढ़ाने वाले मदनी इनआम पर अ़मल करना भी ऐ़न बाइ़से सआदत है । अल्लाह पाक के मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : बेशक लोगों में से कुछ अल्लाह वाले हैं । सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان ने अ़र्ज़ किया : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! वोह कौन लोग हैं ? फ़रमाया : क़ुरआन पढ़ने वाले कि येही लोग अल्लाह वाले हैं और ख़वास में शामिल हैं ।
(ابن ماجہ،کتاب السنۃ، باب فی فضل من تعلم القرآن وعلمہ ، ۱/ ۱۴۰،حدیث: ۲۱۵)
٭मुख़्तलिफ़ अवरादो वज़ाइफ़ पढ़ने वाला मदनी इनआम जो कि ज़िक्रो अज़्कार की तरग़ीब पर मुश्तमिल है । ज़िक्र की फ़ज़ीलत के बारे में ह़दीसे क़ुद्सी में आता है कि अल्लाह पाक फ़रमाता है : जब मेरा बन्दा मेरा ज़िक्र करता है और उस के होंट मेरे लिये हिलते हैं, तो मैं उस के साथ होता हूं ।
(ابن ماجہ، کتاب الادب، باب فضل الذکر، ۴/۲۴۳، حدیث:۳۷۹۲)
٭पीर के दिन रोज़ा रखने वाले मदनी इनआम पर अ़मल करना भी ह़दीसे पाक की रू से पसन्दीदा अ़मल है । फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : पीर और जुमा'रात के दिन आ'माल पेश किये जाते हैं, लिहाज़ा मैं पसन्द करता हूं कि जब मेरा अ़मल पेश किया जाए, तो मैं रोज़ेदार हूं ।
(ترمذی ،کتا ب الصوم، با ب ماجاء فی صوم یوم الاثنین والخمیس ، ۲/۱۸۷، حدیث: ۷۴۷)