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Book Name:Madani Inamaat,Rahe Nijaat

उस के लिये जहन्नम से आज़ादी लिख देता है । (سنن ابن ماجہ،کتاب المساجد والجماعا ت ،باب صلاۃ العشاء و الفجر فی جماعۃ، ۱/۴۳۷، حدیث:۷۹۸)

سُبْحٰنَ اللّٰہ عَزَّ  وَجَلَّ ! सिर्फ़ चालीस दिन तक इ़शा की नमाज़ तक्बीरे ऊला के साथ पढ़ने की जब येह फ़ज़ीलत है, तो ज़िन्दा रह जाने की सूरत में ज़िन्दगी भर पांचों नमाज़ें तक्बीरे ऊला के साथ अदा करने का क्या मक़ाम होगा ।

मस्जिद की ह़ाज़िरी

          इस मदनी इनआम में चूंकि नमाज़े बा जमाअ़त की तरग़ीब दिलाई गई है और नमाज़े बा जमाअ़त उ़मूमन मस्जिद ही में अदा की जाती है, लिहाज़ा इस मदनी इनआम पर अ़मल करना सुब्ह़ो शाम मस्जिद की ह़ाज़िरी का ज़रीआ भी है जो कि ऐ़न सआदत है । ह़ज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से मरवी है कि ह़ुज़ूरे अकरम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : مَنْ غَدَا اِلَى الْـمَسْجِـدِ اَوْ رَاحَ اَعَـدَّ اللهُ لَـه ٗ فِی الْـجَـنَّةِ نُزُلًا كُلَّـمَا غَدَا اَوْ رَاحَ जो शख़्स सुब्ह़ो शाम मस्जिद में जाए, तो जितनी मरतबा भी जाएगा, अल्लाह पाक उस के लिये जन्नत में मेहमानी तय्यार फ़रमाएगा । (مسلم،کتاب المساجد... الخ، باب المشي الی الصلاۃ... الخ، ص۳۳۶،حديث: ۶۶۹)

पहली सफ़

        इस मदनी इनआम में पहली सफ़ में नमाज़ पढ़ने की भी तरग़ीब दिलाई गई है, जिस के मुतअ़ल्लिक़ ह़दीसे पाक में फ़रमाया गया कि अगर लोगों को येह मा'लूम हो जाए कि अज़ान देने और पहली सफ़ में नमाज़ पढ़ने में कितना अज्र है और फिर उन्हें क़ुरआ अन्दाज़ी के बिग़ैर येह सआदतें ह़ासिल न हों, तो इन की ख़ात़िर ज़रूर क़ुरआ अन्दाज़ी करेंगे । (مسلم ،کتاب الصلوۃ، باب تسویۃ الصفوف واقامتھا۔۔۔الخ، ص۲۳۱، الحدیث:۴۳۷)

ग़ुस्सा पीने और दरगुज़र से काम लेने वाला मदनी इनआम

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि नमाज़े बा जमाअ़त अदा करने वाले इस एक मदनी इनआम पर अ़मल करना किस क़दर अज्रो सवाब ह़ासिल करने का ज़रीआ है । अल्लाह पाक हमें पांचों नमाज़ें बा जमाअ़त पाबन्दी के साथ पढ़ने की सआदत नसीब फ़रमाए ।

 



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