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Book Name:Madani Inamaat,Rahe Nijaat

( ابن ماجہ،۴/ ۱۱۵ ،حدیث :۳۴۹۷ )

٭ पथ्थर का सुरमा इस्ति'माल करने में ह़रज नहीं और सियाह सुरमा या काजल ब क़स्दे ज़ीनत (या'नी ज़ीनत की निय्यत से) मर्द को लगाना मकरूह है और ज़ीनत मक़्सूद न हो, तो कराहत नहीं । (फ़तावा हिन्दिया, 5 / 359)     

'लान

सुरमा लगाने की बक़िय्या सुन्नतें और आदाब तरबिय्यती ह़ल्क़ों में बयान किये जाएंगे, लिहाज़ा इन मदनी फूलों को जानने के लिये तरबिय्यती ह़ल्क़ों में ज़रूर शिर्कत कीजिये ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                             صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

दा'वते इस्लामी के हफ़्तावार

सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में पढ़े जाने वाले

6 दुरूदे पाक और 2 दुआएं

(1)शबे जुमुआ का दुरूद :   

اَللّٰہُمَّ صَلِّ وَسَلِّمْ وَبَارِکْ عَلٰی سَیِّدِنَامُحَمَّدِنِ النَّبِیِّ الْاُمِّیِّ الْحَبِیْبِ الْعَالِی الْقَدْرِالْعَظِیْمِ

وَعَلٰی  اٰلِہٖ وَصَحْبِہٖ وَسَلِّمْ   الْجَاہِ

        बुज़ुर्गों ने फ़रमाया कि जो शख़्स हर शबे जुमुआ (जुमुआ और जुमा'रात की दरमियानी रात) इस दुरूद शरीफ़ को पाबन्दी से कम अज़ कम एक मरतबा पढे़गा, तो मौत के वक़्त सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ियारत करेगा और क़ब्र में दाख़िल होते वक़्त भी यहां तक कि वोह देखेगा कि सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ उसे क़ब्र में अपने रह़मत भरे हाथों से उतार रहे हैं । (اَفْضَلُ الصَّلَوات عَلٰی سَیِّدِ السّادات ص١٥١ملخصًا)                  

(2) तमाम गुनाह मुआफ़ :

اَللّٰہُمَّ صَلِّ عَلٰی سَیِّدِ نَا وَمَوْلَانَا مُحَمَّدٍ وَّعَلٰی اٰلِہٖ وَسَلِّمْ

 



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