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Book Name:Madani Inamaat,Rahe Nijaat

इस की बरकत से हमारे नामए आ'माल में अज्रो सवाब का ज़ख़ीरा इकठ्ठा होता रहे ।

          इसी त़रह़ एक मदनी इनआम येह है कि "क्या आज आप ने पांचों नमाज़ें मस्जिद की पहली सफ़ में तक्बीरे ऊला के साथ बा जमाअ़त अदा फ़रमाईं ? नीज़ हर बार किसी एक को अपने साथ मस्जिद ले जाने की कोशिश फ़रमाई ?" इस मदनी इनआम के बारे में तो अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ अपने रिसाले "नेक बनने का नुस्ख़ा" में फ़रमाते हैं : सिर्फ़ इस एक मदनी इनआम पर अगर कोई सह़ीह़ मा'नों में कारबन्द हो जाए, तो उस का बेड़ा पार हो जाए ।

साबिक़ा गुनाह मुआफ़

        रसूले अकरम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : जो दो रक्अ़त नमाज़ पढ़े, उन में सहव (या'नी ग़लत़ी) न करे, तो जो गुनाह पहले हुवे हैं अल्लाह पाक मुआफ़ फ़रमा देता है । (المسند للامام احمد بن حنبل، مسند الانصار، ۸/۱۶۲،حدیث :۲۱۷۴۹)

        سُبْحٰنَ اللّٰہ عَزَّ  وَجَلَّ ! आप ने सुना ! दो रक्अ़त की जब येह फ़ज़ीलत है, तो जो शख़्स पांचों नमाज़ें और वोह भी बा जमाअ़त अदा करने लग जाए, तो उस के तो वारे ही नियारे हो जाएंगे ।

27 दरजे बढ़ कर

        ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह बिन उ़मर رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا से रिवायत है कि ताजदारे मदीना, राह़ते क़ल्बो सीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : नमाज़े बा जमाअ़त, तन्हा नमाज़ से 27 दरजे बढ़ कर है । (مسلم،کتاب المساجد ومواضع الصلاۃ، باب فضل صلاۃ الجماعۃ۔۔۔الخ،ص۳۲۶،حدیث:۲۵۰)

जहन्नम से आज़ादी

        मज़ीद इस मदनी इनआम में तक्बीरे ऊला का भी ज़िक्र है । इस की फ़ज़ीलत ह़दीसे पाक में येह बयान की गई है कि जो मस्जिद में चालीस रातें बा जमाअ़त नमाज़े इ़शा इस त़रह़ पढ़े कि पहली रक्अ़त फ़ौत न हो, अल्लाह पाक



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