Book Name:Madani Inamaat,Rahe Nijaat
से पहले, तन्दुरुस्ती को बीमारी से पहले, जवानी को बुढ़ापे से पहले और फ़राग़त को मसरूफ़िय्यत से पहले ग़नीमत जानते हुवे आख़िरत के लिये नेकियों का ख़ूब ख़ूब ज़ख़ीरा इकठ्ठा करें और गुनाहों से बचते हुवे इख़्लास व इस्तिक़ामत के साथ जन्नत में ले जाने वाले आ'माल में मसरूफ़ रहें ।
ह़ज़रते सय्यिदुना जाबिर बिन अ़ब्दुल्लाह رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं कि नबिय्ये मुकर्रम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने हमें ख़ुत़्बा देते हुवे इरशाद फ़रमाया : ऐ लोगो ! मरने से पहले अल्लाह पाक की बारगाह में तौबा कर लो और मश्ग़ूलिय्यत से पहले नेक आ'माल करने में जल्दी कर लो और कसरत से ज़िक्रुल्लाह करने और पोशीदा और ज़ाहिरी त़ौर पर सदक़ा करने के ज़रीए़ अल्लाह पाक से अपना राबित़ा जोड़ लो, तो तुम्हें रिज़्क़ दिया जाएगा, तुम्हारी मदद की जाएगी और तुम्हारे नुक़्सान की तलाफ़ी की जाएगी ।
(ابن ماجہ، کتاب اقامۃ الصلاۃ …الخ،باب فی فرض الجمعۃ،۲/ص ۵، حدیث:۱۰۸۱)
سُبْحٰنَ اللّٰہ ! इस ह़दीसे पाक में भी फ़िक्रे आख़िरत और आ'माले सालेह़ा की तरग़ीब दिलाते हुवे रह़मते आलम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने नेक आ'माल करने वालों को रिज़्क़ की फ़रावानी और मुश्किलात की आसानी की बिशारत अ़त़ा फ़रमाई है लेकिन याद रखिये कि इस्तिक़ामत के साथ गुनाहों से बचने और नेकियां करने के लिये अपने आ'माल का एह़तिसाब करना निहायत ज़रूरी है, इस लिये हर शख़्स को चाहिये कि वोह अपने आ'माल के अन्जाम पर सन्जीदगी से ग़ौर करे कि जो कुछ मैं करता हूं या कर रहा हूं या फिर करना चाहता हूं वोह मेरी आख़िरत के लिये मुफ़ीद है या नुक़्सान देह ? यक़ीनन जो मुसलमान एह़तिसाबे आ'माल और फ़िक्रे आख़िरत की आदत बना लेगा उस के किरदार व गुफ़्तार में रफ़्ता रफ़्ता निखार आ जाएगा और उस की आख़िरत भी बेहतर हो जाएगी । اِنْ شَآءَ اللہ
एह़तिसाबे आ'माल की इफ़ादिय्यत व अहम्मिय्यत का अन्दाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि क़ुरआनो ह़दीस में बा क़ाइ़दा इस की तरग़ीब