Book Name:Bahan Bhaiyon Ke Sath Husne Sulook
न हुवा क्यूंकि इक़्लीमा ज़ियादा ख़ूब सूरत थी इस लिये वोह उस का त़लबगार हुवा । ह़ज़रते आदम عَلَیْہِ السَّلَام ने उसे बहुत समझाया कि इक़्लीमा तेरे साथ पैदा हुई है, इस लिये वोह तेरी बहन है, उस के साथ तेरा निकाह़ नहीं हो सकता मगर क़ाबील अपनी ज़िद्द पर अड़ा रहा । बिल आख़िर ह़ज़रते आदम عَلَیْہِ السَّلَام ने ह़ुक्म दिया कि तुम दोनों अपनी अपनी क़ुरबानियां अल्लाह पाक के दरबार में पेश करो, जिस की क़ुरबानी मक़्बूल होगी, वोही इक़्लीमा का ह़क़दार होगा । उस ज़माने में क़ुरबानी की मक़्बूलिय्यत की येह निशानी थी कि आसमान से एक आग आती और जो क़ुरबानी अल्लाह पाक की बारगाह में मक़्बूल होती, तो उस को खा लिया करती थी । चुनान्चे, क़ाबील ने गेहूं की कुछ बालें और ह़ज़रते हाबील رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने एक बकरी क़ुरबानी के लिये पेश की । आसमानी आग ने ह़ज़रते हाबील رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ की क़ुरबानी को खा लिया और क़ाबील के गेहूं को छोड़ दिया । इस बात पर क़ाबील के दिल में बुग़्ज़ व ह़सद पैदा हो गया और उस ने ह़ज़रते हाबील رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ को क़त्ल कर देने की ठान ली और हाबील से कह दिया कि मैं तुझ को क़त्ल कर दूंगा । ह़ज़रते हाबील رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने फ़रमाया कि क़ुरबानी क़बूल करना अल्लाह पाक का काम है और वोह तक़्वा व इख़्लास वालों की क़ुरबानी क़बूल करता है, अगर तू मुत्तक़ी होता, तो ज़रूर तेरी क़ुरबानी क़बूल होती । (अ़जाइबुल क़ुरआन मअ़ ग़राइबुल क़ुरआन, स. 85-86, मुलख़्ख़सन, सिरात़ुल जिनान / 416, तह़तुल आयत : 27, मुलख़्ख़सन)
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! क़ाबील को दुन्या की मह़ब्बत और बुग़्ज़ व ह़सद ने अपने भाई के क़त्ल पर उक्साया और उस ने अपने भाई को क़त्ल कर डाला । आज भी हमारे मुआशरे में एक भाई अपने भाई से उस की इ़ल्मी क़ाबिलिय्यत, बेहतरीन ज़ेहनी सलाह़िय्यत, कसीर मालो दौलत, इ़ज़्ज़त व शराफ़त और बेहतरीन मुलाज़मत व वजाहत को देख कर ह़सद करता है और इस ह़सद की आग में जल कर अपने भाई को नुक़्सान पहुंचाने की कोशिश करता है और अपने भाई से उन ने'मतों के छीन जाने की दुआएं करता है । याद रखिये ! ह़सद करना ह़राम और जहन्नम में ले जाने वाला काम है । चुनान्चे,