Book Name:Bahan Bhaiyon Ke Sath Husne Sulook
सुकून बरबाद हो जाता था, वोह इस सूरते ह़ाल से सख़्त परेशान थी, घर में अमन क़ाइम होने की कोई राह दिखाई न देती थी । इसी दौरान पीरो मुर्शिद, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की तवज्जोह से उन्हें आप के अ़त़ा कर्दा रिसाले "शजरए क़ादिरिय्या रज़विय्या ज़ियाइय्या अ़त़्त़ारिय्या" से शजरए आलिय्या पढ़ने का ख़याल आया । बस फिर क्या था ! उन्हों ने शजरए आलिय्या को घरेलू नाचाक़ियां दूर करने की निय्यत से पढ़ना शुरूअ़ कर दिया । शजरए आलिय्या पढ़ने की बरकत से उन के घरेलू झगड़े ख़त्म हो गए और घर अमन का गहवारा बन गया । (शर्ह़े शजरए क़ादिरिय्या रज़विय्या अ़त़्त़ारिय्या, स. 153, बित्तसर्रुफ़)
मुश्किलें ह़ल कर शहे मुश्किल कुशा के वासित़े
कर बलाएं रद शहीदे कर बला के वासित़े
अगर आप को भी दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल के ज़रीए़ कोई मदनी बहार या बरकत मिली हो, तो आख़िर में ज़िम्मेदार इस्लामी बहन को जम्अ़ करवा दें ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! दीने इस्लाम ने बहनों के ह़ुक़ूक़ भी उजागर फ़रमाए और अपने मानने वालों को अपनी सगी व रज़ाई़ बहनों के साथ भी ह़ुस्ने सुलूक से पेश आने का दर्स दिया है क्यूंकि बहनें ही भाइयों के नख़रे बरदाश्त करती हैं, उन की फ़रमाइशें पूरी करती हैं, दुख सुख की घड़ी में भाइयों का साथ देती हैं, बहनें ही अपने भाइयों के लिये दुआएं करती हैं, वालिदा के इन्तिक़ाल के बा'द घर का सारा काम काज अपने ज़िम्मे ले कर वालिदा की कमी मह़सूस नहीं होने देतीं जब कि ज़मानए जाहिलिय्यत में इन के साथ इन्तिहाई बुरा सुलूक किया जाता था ।
औरतों के सब से बड़े ख़ैर ख़्वाह, अल्लाह के मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : जिस की 3 बेटियां या 3 बहनें या 2 बेटियां या 2 बहनें हों और उस ने उन के साथ ह़ुस्ने सुलूक किया और उन के बारे में अल्लाह