Book Name:Faizan e Shabaan
मेरे आक़ाए ने'मत, सरकारे आ'ला ह़ज़रत, इमामे अहले सुन्नत, मौलाना शाह इमाम अह़मद रज़ा ख़ान عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالرَّحْمٰن मुख़्तलिफ़ अवक़ात में पढ़े जाने वाले वज़ाइफ़ और दुआओं के मदनी गुलदस्ते "अल वज़ीफ़तुल करीमा" में ह़ुसूले ज़ियारते मुस्त़फ़ा के लिये दुरूदे पाक के चन्द मख़्सूस सीग़े ज़िक्र करने के बा'द लिखते हैं : (दुरूदे पाक) ख़ालिस ता'ज़ीमे शाने अक़्दस के लिये पढ़े, इस निय्यत को भी (दिल में) जगह न दे कि मुझे ज़ियारत अ़त़ा हो, आगे उन का करम बेह़द व इन्तिहा है । मुंह मदीनए त़य्यिबा (زَادَہَا اللّٰہُ شَرَفًاوَّتَعْظِیْماً) की त़रफ़ हो और दिल ह़ुज़ूरे अक़्दस صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की त़रफ़, दस्त बस्ता (या'नी हाथ बांध कर) पढ़े (और) येह तसव्वुर बांधे के रौज़ए अन्वर के ह़ुज़ूर ह़ाज़िर हूं और यक़ीन जाने कि ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ उसे देख रहे हैं, उस की आवाज़ सुन रहे हैं, उस के दिल के ख़त़रों पर मुत़्त़लअ़ हैं । (अल वज़ीफ़तुल करीमा, स. 28)
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! अगर हम भी इख़्लास व इस्तिक़ामत के साथ आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के बताए हुवे त़रीके़ पर अ़मल करते हुवे दुरूदे पाक पढ़ने की आदत बनाएंगे, तो اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ وَجَلَّ दीदारे मुस्त़फ़ा का शरफ़ पाने के साथ साथ अल्लाह पाक की ढेरों रह़मतों और करोड़ो बरकतों के ह़क़दार भी बन जाएंगे । आइये ! तरग़ीब के लिये दुरूदे पाक के मज़ीद फ़ज़ाइल सुनते हैं ।
ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ अ़ब्दुल ह़क़ मुह़द्दिसे देहलवी عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالقَوِی "जज़्बुल क़ुलूब" में इरशाद फ़रमाते हैं : जब बन्दए मोमिन एक बार दुरूद शरीफ़ पढ़ता है, तो अल्लाह (पाक) उस पर दस बार रह़मत भेजता है, (दस गुनाह मिटाता है), दस दरजात बुलन्द करता है, दस नेकियां अ़त़ा फ़रमाता है, दस ग़ुलाम आज़ाद करने का सवाब ।
(الترغیب والترھیب، کتاب الذکر والدعائ،الترغیب فی اکثارالصلاۃ علی النبی،٢/ ٣٢٢، حدیث: ٢٥٧٤)
और बीस ग़ज़वात में शुमूलिय्यत का सवाब अ़त़ा फ़रमाता है ।
(فردوس الاخبار، باب الحائ، ١/٣٤٠،حدیث:٢٤٨٤)