Faizan e Shabaan

Book Name:Faizan e Shabaan

ख़याल किया था कि शायद आप अज़्वाजे मुत़हहरात में से किसी के पास तशरीफ़ ले गए होंगे । तो फ़रमाया : बेशक अल्लाह तआला शा'बान की पन्द्रहवीं रात आसमाने दुन्या पर तजल्ली फ़रमाता है, पस क़बीलए बनी कल्ब की बकरियों के बालों से भी ज़ियादा गुनहगारों को बख़्श देता है ।

(फ़ैज़ाने सुन्नत, स. 1393, سُنَنِ تِرمِذی ج۲ص۱۸۳حدیث ۷۳۹ دارالفکر بیروت)

मजलिसे जजिज़ ऐन्ड वुकला (Judges & Lawyers

       سُبْحَانَ اللہ عَزَّ  وَجَلَّ ! सुना आप ने ! शबे बराअत किस क़दर अ़ज़मतों और रिफ़्अ़तों वाली रात है, जिस में रब्बे करीम क़बीलए बनी कल्ब की बकरियों के बालों से भी ज़ियादा गुनाहगारों को बख़्श देता है । लिहाज़ा हमें चाहिये कि हम भी इस बा बरकत रात को ग़फ़्लत भरे कामों में बरबाद करने के बजाए रिज़ाए रब्बुल अनाम वाले कामों में गुज़ारें और येह मदनी सोच पाने के लिये आशिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो जाएं ।

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ عَزَّ  وَجَلَّ दा'वते इस्लामी जहां कमो बेश 104 शो'बाजात में दीने इस्लाम का मदनी पैग़ाम आम कर रही है, वहीं "वकालत" (Advocacy) से वाबस्ता अफ़राद की इस्लाह़ के लिये "मजलिसे जजिज़ ऐन्ड वुकला" के ज़रीए़ इन्हें दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता करते हुवे इस मदनी मक़्सद के मुत़ाबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारने और फ़िक्रे आख़िरत का मदनी ज़ेहन देने में मसरूफे़ अ़मल है कि "मुझे अपनी और सारी दुन्या के लोगों की इस्लाह़ की कोशिश करनी है, اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ  وَجَلَّ ।"

इस शो'बे के आशिक़ाने रसूल के घरों, दफ़ातिर, बार ऐसोसीऐशन वग़ैरा में वक़्तन फ़-वक़्तन मदनी ह़ल्क़ो का सिलसिला होता रहता है । इस शो'बे के आशिक़ाने रसूल हफ़्तावार इजतिमाअ़ व मदनी मुज़ाकरे में भी शिर्कत की सआदत ह़ासिल करते हैं । मजलिसे मद्रसतुल मदीना बालिग़ान की कोशिश से इस शो'बे से वाबस्ता अफ़राद को भी ता'लीमे क़ुरआन की रौशनी से मुनव्वर करने के लिये मद्रसतुल मदीना बालिग़ान की तरकीब होती है, जिस में क़ुरआने