Faizan e Shabaan

Book Name:Faizan e Shabaan

मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आइये ! अल्लाह पाक की रिज़ा पाने और सवाब कमाने के लिये बयान सुनने से पहले अच्छी अच्छी निय्यतें कर लेते हैं :

फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ :   ’’نِیَّۃُ الْمُؤمِنِ خَیْرٌ مِّنْ عَمَلِہٖ‘‘ मुसलमान की निय्यत उस के अ़मल से बेहतर है । (معجم کبیر،۶/۱۸۵،حدیث:۵۹۴۲)

दो मदनी फूल :-

(1) बिग़ैर अच्छी निय्यत के किसी भी अ़मले ख़ैर का सवाब नहीं मिलता ।

(2) जितनी अच्छी निय्यतें ज़ियादा, उतना सवाब भी ज़ियादा ।

बयान सुनने की निय्यतें

v निगाहें नीची किये ख़ूब कान लगा कर बयान सुनूंगा । v टेक लगा कर बैठने के बजाए इ़ल्मे दीन की ता'ज़ीम की ख़ात़िर जब तक हो सका दो ज़ानू बैठूंगा । vاُذْکُرُوااللّٰـہَ، تُوبُوْا اِلَی اللّٰـہِ  صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْبِ،  वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वालों की दिलजूई के लिये बुलन्द आवाज़ से जवाब दूंगा । v बयान के बा'द इस्लामी भाइयों से ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम करूंगा, हाथ मिलाऊंगा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगा ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                                            صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

       मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! दुरूदे पाक ऐसा अ़मल है कि जिसे ख़ुद अल्लाह पाक भी करता है । चुनान्चे, कु़रआने करीम में इरशादे ख़ुदावन्दी है :

اِنَّ اللّٰهَ وَ مَلٰٓىٕكَتَهٗ یُصَلُّوْنَ عَلَى النَّبِیِّؕ-یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا صَلُّوْا عَلَیْهِ وَ سَلِّمُوْا تَسْلِیْمًا(۵۶)

 (پ۲۲،الاحزاب:۵۶)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : बेशक अल्लाह और उस के फ़िरिश्ते नबी पर दुरूद भेजते हैं, ऐ ईमान वालो ! उन पर दुरूद और ख़ूब सलाम भेजो ।

     इस आयते मुबारका के नाज़िल होने के बा'द नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का चेहरए अन्वर ख़ुशी से नूर की किरनें लुटाने लगा और फ़रमाया : मुझे मुबारक बाद पेश करो क्यूंकि मुझे वोह आयते मुबारका अ़त़ा की गई है जो मुझे दुन्या व माफ़ीहा (या'नी दुन्या और जो कुछ इस में है उस) से ज़ियादा मह़बूब है । (روحُ البیان، پ۲۲، الاحزاب، تحت الآیۃ۵۶، ۷/۲۲۳)