Faizan e Shabaan

Book Name:Faizan e Shabaan

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! ह़ुज़ूरे पाक, साह़िबे लौलाक صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की मे'राज, दीदारे किब्रिया है और एक आशिक़े रसूल की मे'राज दीदारे मुस्त़फ़ा है । कौन ऐसा बद नसीब होगा जिस के दिल में प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के दीदार की तमन्ना न हो ! यक़ीनन हर आशिके़ रसूल की येही आरज़ू होगी कि :

कुछ ऐसा कर दे मेरे किरदिगार आंखों में

हमेशा नक़्श रहे रूए यार आंखों में

उन्हें न देखा तो किस काम की हैं येह आंखें

कि देखने की है सारी बहार आंखों में

 (सामाने बख़्शिश, स. 131)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                                            صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

        ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ अबुल मवाहिब शाज़ली عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالقَوِی फ़रमाते  हैं : जो शख़्स नबिय्ये मुकर्रम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ियारत करना चाहता है उसे चाहिये कि ह़ुज़ूर सय्यिदे आलम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का कसरत से ज़िक्र करता रहे और सादात व औलिया से मह़ब्बत रखे, वग़रना ख़्वाब (में ज़ियारत) का दरवाज़ा उस पर बन्द है क्यूंकि येह नुफ़ूसे क़ुदसिय्या तमाम लोगों के सरदार हैं, येह जिन से नाराज़ होते हैं, अल्लाह पाक और उस के प्यारे ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ भी उन से नाराज़ हो जाते हैं ।

(افضل الصلوات علی سید السادات ،ص١٢٧)

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! अगर हम भी अल्लाह पाक और उस के रसूल صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की रिज़ा चाहते हैं और ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ियारत के ख़्वाहिश मन्द हैं, तो दुरूदे पाक को अपने सुब्ह़ो शाम का वज़ीफ़ा बना लेना चाहिये, सच्ची लगन के साथ इस में मगन रहेंगे, तो اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ  وَجَلَّ  एक न एक दिन ज़रूर हम पर भी करम होगा और हमें भी ज़ियारत नसीब   हो जाएगी ।