Faizan e Shabaan

Book Name:Faizan e Shabaan

पढ़ने की वज्ह से पहचानता हूं, जितना वोह मुझ पर दुरूद पढ़ते हैं, मैं उन्हें उस क़दर ही पहचानता हूं । जब वोह शख़्स बेदार हुवा, तो उस ने अपने ऊपर लाज़िम कर लिया कि वोह ह़ुज़ूर सरवरे काइनात صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर रोज़ाना एक सौ मरतबा दुरूदे पाक पढ़ेगा । अब उस शख़्स ने रोज़ाना सौ मरतबा दुरूदे पाक पढ़ना अपना मा'मूल बना लिया । कुछ मुद्दत बा'द फिर ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के दीदार से मुशर्रफ़ हुवा । आप عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلام ने फ़रमाया : मैं अब तुझे पहचानता हूं और मैं तेरी शफ़ाअ़त भी करूंगा ।

(मुकाशफ़तुल क़ुलूब, स. 79, मुलख़्ख़सन)

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! मा'लूम हुवा कि दुरूदे पाक पढ़ने वाले से नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ न सिर्फ़ ख़ुश होते हैं बल्कि शरबते दीदार से भी नवाज़ते हैं, लिहाज़ा हमें भी चलते, फिरते, उठते, बैठते आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर दुरूदे पाक पढ़ते रहना चाहिये ।

        ह़ज़रते सय्यिदुना इबने अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا से रिवायत है कि नबिय्ये रह़मत, शफ़ीए़ उ़म्मत صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने अ़ज़मत निशान है : जो मोमिन जुमुआ की रात दो रकअ़त इस त़रह़ पढ़े कि हर रकअ़त में सूरतुल फ़ातिह़ा के बा'25 मरतबा "قُلْ ھُوَاللّٰہُ اَحَدٌ" पढ़े फिर येह दुरूदे पाक "صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّدِ النَّبِیِّ الاُمِّیْ" हज़ार मरतबा पढ़े, तो आने वाले जुमुआ से पहले ख़्वाब में मेरी ज़ियारत करेगा और जिस ने मेरी ज़ियारत की, अल्लाह पाक उस के गुनाह मुआफ़ फ़रमा देगा ।  (القول البدیع ،الباب الثالث فی الصلاۃ علیہ فی اوقات مخصوصۃ،ص ٣٨٣ )

        ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ अ़ब्दुल ह़क़ मुह़द्दिसे देहलवी عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالقَوِی नक़्ल करते हैं : जो शख़्स जुमुआ के दिन एक हज़ार बार येह दुरूद शरीफ़ पढ़ेगा, तो वोह सरकारे नामदार, मदीने के ताजदार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ख़्वाब में ज़ियारत करेगा या जन्नत में अपनी मन्ज़िल देख लेगा, अगर पहली बार में मक़्सद पूरा न हो, तो दूसरे जुमुआ भी इस को पढ़ ले, اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ  وَجَلَّ पांच जुमुओं तक उस को सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ियारत हो जाएगी ।

(تاریخِ مدینہ، ص٣٤٣ ،ملخصاً)