Faizan e Shabaan

Book Name:Faizan e Shabaan

        सरकारे नामदार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का इरशादे मुश्कबार है : मुर्दे का ह़ाल क़ब्र में डूबते हुवे इन्सान की मानिन्द है कि वोह शिद्दत से इन्तिज़ार करता है कि बाप या मां या भाई या किसी दोस्त की दुआ उस को पहुंचे और जब किसी की दुआ उसे पहुंचती है, तो उस के नज़दीक वोह दुन्या व माफ़ीहा (या'नी दुन्या और इस में जो कुछ है) से बेहतर होती है । अल्लाह पाक क़ब्र वालों को उन के ज़िन्दा मुतअ़ल्लिक़ीन की त़रफ़ से हदिय्या किया हुवा सवाब पहाड़ों की मानिन्द अ़त़ा फ़रमाता है । ज़िन्दों का हदिय्या (या'नी तोह़फ़ा) मुर्दों के लिये दुआए मग़फ़िरत करना है । (क़ब्र वालों की 25 ह़िकायात, स. 15, شُعَبُ الاِیْمَان ج۶ص۲۰۳حدیث۷۹۰۵)

मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! बयान को इख़्तिताम की त़रफ़ लाते हुवे सुन्नत की फ़ज़ीलत और चन्द सुन्नतें और आदाब बयान करने की सआदत ह़ासिल करता हूं । शहनशाहे नुबुव्वत, मुस्त़फ़ा जाने रह़मत, शमए बज़्मे हिदायत, नौशए बज़्मे जन्नत صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने जन्नत निशान है : जिस ने मेरी सुन्नत से मह़ब्बत की, उस ने मुझ से मह़ब्बत की और जिस ने मुझ से मह़ब्बत की, वोह जन्नत में मेरे साथ होगा ।

(مشکاۃ الصابیح،کتاب الایمان،باب الاعتصام بالکتاب والسنۃ،الفصل الثانی،۱/۵۵،حدیث:۱۷۵)

नाख़ुन काटने की सुन्नतें और आदाब

        आइये ! शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "101 मदनी फूल" से नाख़ुन काटने की सुन्नतें और आदाब सुनते हैं ।

        v जुमुआ के दिन नाख़ुन काटना मुस्तह़ब है । हां ! अगर ज़ियादा बढ़ गए हों, तो जुमुआ का इन्तिज़ार न कीजिये । (درمختار ،۹/۶۶۸) सदरुश्शरीआ, बदरुत़्त़रीक़ा, मौलाना अमजद अ़ली आ'ज़मी عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالقَوِی फ़रमाते हैं, मन्क़ूल है : जो जुमुआ के रोज़ नाख़ुन तरशवाए (या'नी काटे), अल्लाह करीम उस को दूसरे जुमुआ तक बलाओं से मह़फ़ूज़ रखेगा और तीन दिन ज़ाइद या'नी दस दिन तक । एक रिवायत में येह भी है कि जो जुमुआ के दिन नाख़ुन तरशवाए (या'नी काटे), तो रह़मत आएगी और गुनाह जाएंगे ।