Book Name:Faizan e Shabaan
اَللّٰہُمَّ صَلِّ وَسَلِّمْ وَبَارِکْ عَلٰی سَیِّدِنَامُحَمَّدِنِ النَّبِیِّ الْاُمِّیِّ الْحَبِیْبِ الْعَالِی الْقَدْرِالْعَظِیْمِ
وَعَلٰی اٰلِہٖ وَصَحْبِہٖ وَسَلِّمْ الْجَاہِ
बुज़ुर्गों ने फ़रमाया कि जो शख़्स हर शबे जुमुआ (जुमुआ और जुमा'रात की दरमियानी रात) इस दुरूद शरीफ़ को पाबन्दी से कम अज़ कम एक मरतबा पढे़गा तो मौत के वक़्त सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की जि़यारत करेगा और क़ब्र में दाख़िल होते वक़्त भी, यहां तक कि वोह देखेगा कि सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ उसे क़ब्र में अपने रह़मत भरे हाथों से उतार रहे हैं । (اَفْضَلُ الصَّلَوات عَلٰی سَیِّدِ السّادات ص١٥١ملخصًا)
{2} तमाम गुनाह मुआफ़ :
اَللّٰہُمَّ صَلِّ عَلٰی سَیِّدِ نَا وَمَوْلَانَا مُحَمَّدٍ وَّعَلٰی اٰلِہٖ وَسَلِّمْ
ह़ज़रते सय्यिदुना अनस رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से रिवायत है कि ताजदारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : जो शख़्स येह दुरूदे पाक पढ़े, अगर खड़ा था तो बैठने से पहले और बैठा था तो खड़े होने से पहले उस के गुनाह मुआफ़ कर दिये जाएंगे । (اَیضاً ص ٦٥)
{3} रह़मत के सत्तर दरवाज़े : صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّدٍ
जो येह दुरूदे पाक पढ़ता है तो उस पर रह़मत के 70 दरवाज़े खोल दिये जाते हैं । (اَلْقَوْلُ الْبَدِیْع ص٢٧٧)
{4} दुरूदे शफ़ाअ़त :
اَللّٰہُمَّ صَلِّ عَلٰی مُحَمَّدٍ وَّاَنۡزِلۡہُ الۡمَقۡعَدَ الۡمُقَرَّبَ عِنۡدَکَ یَوۡمَ الۡقِیَامَۃِ
शाफे़ए़ उमम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने मुअ़ज़्ज़म है : जो शख़्स यूं दुरूदे पाक पढ़े उस के लिये मेरी शफ़ाअ़त वाजिब हो जाती है !!!
(الترغیب والترہیب ج۲ص۳۲۹،حدیث ۳۱)
{5} छे लाख दुरूद शरीफ़ का सवाब :
اَللّٰھُمَّ صَلِّ عَلٰی سَیِّدِنَامُحَمَّدٍعَدَدَمَافِیْ عِلْمِ اللّٰہِ صَلَاۃً دَآئِمَۃً بِۢدَوَامِ مُلْکِ اللّٰہِ