Faizan e Shabaan

Book Name:Faizan e Shabaan

और आग गुल्ज़ार हो गई, तो उस के आदमियों ने आग के अनार भर कर उन में आग लगा कर ह़ज़रते ख़लीलुल्लाह عَلَیْہِ السَّلَام की त़रफ़ फेंके ।

(इस्लामी ज़िन्दगी, स. 63, फ़ैज़ाने सुन्नत, स. 1396)

        आतश बाज़ी की येह नापाक रस्म अब मुसलमानों में ज़ोर पकड़ती जा रही है, मुसलमानों का करोड़हा करोड़ रुपया हर साल आतश बाज़ी की नज़्र हो जाता है और आए दिन येह ख़बरें आती हैं कि फ़ुलां जगह आतश बाज़ी से

इतने घर जल गए और इतने आदमी झुलस कर मर गए वग़ैरा वग़ैरा । इस में जान का ख़त़रा, माल की बरबादी और मकान में आग लगने का अन्देशा है फिर येह काम अल्लाह पाक की ना फ़रमानी भी है । ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالرَّحْمٰن फ़रमाते हैं : आतश बाज़ी बनाना, बेचना, ख़रीदना और ख़रीदवाना, चलाना और चलवाना सब ह़राम है ।

(इस्लामी ज़िन्दगी, स. 63, फ़ैज़ाने सुन्नत, स. 1396)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                                            صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! शबे बराअत में आतश बाज़ी के ज़रीए़ मुसलमानों की इ़बादत में ख़लल पैदा करने के बजाए ख़ुद भी ख़ूब ख़ूब इ़बादत कीजिये, रो रो कर अपने गुनाहों की मुआफ़ी मांगिये, अपनी बख़्शिश व मग़फ़िरत के साथ साथ सुन्नत पर अ़मल की निय्यत से क़ब्रिस्तान जा कर फ़िक्रे आख़िरत पैदा करने के लिये क़ब्रों की ज़ियारत भी कीजिये और अपने मर्ह़ूमीन समेत तमाम मुस्लिमीन के लिये दुआए मग़फ़िरत भी कीजिये ।

शबे बराअत और क़ब्रों की ज़ियारत

      उम्मुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदतुना आइशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا फ़रमाती हैं : मैं ने एक रात (या'नी शा'बान की पन्द्रहवीं रात) सरवरे काइनात, शाहे मौजूदात صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को न देखा, तो बक़ीए़ पाक में मुझे मिल   गए । आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने मुझ से फ़रमाया : क्या तुम्हें इस बात का डर था कि अल्लाह पाक और उस का रसूल صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ तुम्हारी ह़क़ तलफ़ी करेंगे ? मैं ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! मैं ने