Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat
की आवाज़ (कि इस की इजाज़त नहीं) । जो कुछ सुनूंगी, उसे सुन और समझ कर, उस पे अ़मल करने और उसे बा'द में दूसरों तक पहुंचा कर नेकी की दा'वत आम करने की सआदत ह़ासिल करूंगी ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आइये ! आज के हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में अल्लाह पाक से मह़ब्बत करने वालों के वाक़िआ़त और इस से मुतअ़ल्लिक़ मदनी फूल सुनती हैं ।
एक इ़बादत गुज़ार की आ़रिफ़ाना गुफ़्तगू
दा'वते इस्लामी के इशाअ़ती इदारे मक्तबतुल मदीना की किताब "ह़िकायतें और नसीह़तें" सफ़ह़ा नम्बर 211 पर है : ह़ज़रते सय्यिदुना ज़ुन्नून मिस्री رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : एक दफ़्आ़ मैं एक पहाड़ में घूम फिर रहा था, जब मैं एक ऐसी वादी से गुज़रा जिस में बहुत से दरख़्त, पौदे और फल थे, तो मैं अल्लाह पाक की क़ुदरत और उस की बनाई हुई चीज़ों की ख़ूब सूरती के बारे में ग़ौरो फ़िक्र करने लगा । अचानक मुझे एक आवाज़ सुनाई दी जिस ने मेरे आंसूओं को बहा दिया और मेरी इ़श्क़ की आग भड़क उठी । मैं उस आवाज़ के पीछे पहाड़ के निचले ह़िस्से में एक ग़ार के किनारे तक पहुंच गया । वोह कलाम ग़ार के अन्दर से सुनाई दे रहा था । मैं अन्दर गया, तो वहां इ़बादत करने वाले एक शख़्स को पाया, जो निहायत ही कमज़ोर था और उस पर मक़्बूलिय्यत के निशानात ज़ाहिर थे । मैं ने उस को येह कहते हुवे सुना : पाक है वोह ज़ात ! जिस ने आ़शिक़ों के दिलों को अपनी बारगाह में मुनाजात के ज़रीए़ ज़िन्दा किया, अब वोह सिर्फ़ उसी पर भरोसा करते हैं और उस ने उन्हें अपनी मह़ब्बत के लिये चुन लिया, तो अब वोह सिर्फ़ उसी की ख़्वाहिश करते हैं । जब उस ने मुझे मह़सूस किया, तो मैं ने कहा : اَلسَّلَامُ عَلَیْکَ । तो उस ने जवाब दिया : وَعَلَیْکَ السَّلَام । उस ने मुझ से पूछा : आप को किस ने उस शख़्स का रास्ता दिखाया जिसे ख़ौफे़ इलाही ने लोगों से अ़लाह़िदा कर रखा है और जो अपने नफ़्स के