Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat
पेशगी वक़्त ले कर इनफ़िरादी त़ौर पर घर जा कर मुलाक़ात करना, उन्हें सुन्नतों भरे इजतिमाआ़त में आने का ज़ेहन देना, उन्हें मद्रसतुल मदीना बालिग़ात में शिर्कत करवाना, उन की ख़ुशी, ग़मी, बीमारी व फ़ौतगी वग़ैरा के मुआ़मलात में शरीक होना और मुश्किलात में मक्तूबातो ता'वीज़ाते अ़त़्त़ारिय्या की तरकीब करना वग़ैरा इस मजलिस के मक़ासिद में शामिल है । अल्लाह करीम "मजलिसे इज़्दियादे ह़ुब" को मज़ीद तरक़्क़ियां अ़त़ा फ़रमाए ।
اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! बयान को इख़्तिताम की त़रफ़ लाते हुवे सुन्नत की फ़ज़ीलत और चन्द सुन्नतें और आदाब बयान करने की सआ़दत ह़ासिल करती हूं । शहनशाहे नुबुव्वत, मुस्त़फ़ा जाने रह़मत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने जन्नत निशान है : जिस ने मेरी सुन्नत से मह़ब्बत की उस ने मुझ से मह़ब्बत की और जिस ने मुझ से मह़ब्बत की वोह जन्नत में मेरे साथ होगा ।
(مشکاۃ الصابیح،کتاب الایمان،باب الاعتصام بالکتاب والسنۃ،الفصل الثانی،۱/۵۵،حدیث:۱۷۵)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
आइये ! अच्छी सोह़बत के बारे में चन्द मदनी फूल सुनने की सआ़दत ह़ासिल करती हैं । पहले 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुलाह़ज़ा कीजिये :
1. फ़रमाया : اَلْمَرْءُ مَعَ مَنْ اَحَبَّ इन्सान उस के साथ होगा, जिस से वोह मह़ब्बत करे । (مسلم، کتاب البر۔۔۔الخ، باب المرء مع من احب،ص ۱۰۸۸،حدیث:۶۷۱۸)
2. फ़रमाया : اَلْمَرْءُ عَلیٰ دِیْنِ خَلِیْلِہِ فَلْیَنْظُرْ اَحَدُ کُمْ مَنْ یُّخَالِلُ इन्सान अपने दोस्त के दीन और उस के त़ौर त़रीके़ पर होता है, लिहाज़ा ज़रूरी है कि वोह देखे कि किस से दोस्ती रखता है । (مسند لامام احمد بن حنبل، مسند ابی ہریرۃ،۳/۲۳۳،حدیث:۸۴۲۵)
٭ अ़मल करने का वोह आ'ला जज़्बा जो एक पाकीज़ा माह़ोल की सोह़बत से मिलता है, वोह दूसरी त़रह़ ना मुमकिन नहीं, तो मुश्किल ज़रूर है । (ऐज़न, स.