Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat

Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat

21) ٭ ऐसा माह़ोल बनाना चाहिये जिस में तमाम इस्लामी बहनों का उठना, बैठना, आपस में मुलाक़ात करना और एक दूसरे से मह़ब्बत रखना फ़क़त़ अल्लाह पाक की रिज़ा व ख़ुशनूदी के लिये हो । (ऐज़न, स. 25) ٭ अच्छे माह़ोल से अच्छी सोह़बत मुयस्सर होती है । (ऐज़न, स. 16) ٭ अच्छे माह़ोल से वाबस्ता होने पर ज़ाहिरो बात़िन की इस्लाह़ होती है । (ऐज़न, स. 16) ٭ बुरे माह़ोल को अपनाने वाले अफ़राद अपनी इ़ज़्ज़त व वक़ार और ह़ैसिय्यत को खो देते हैं । (ऐज़न, स. 26) ٭ दा'वते इस्लामी का ठाठें मारता हुवा रूह़ परवर माह़ोल, इ़बादात व मुआ़मलात की निगेहदाश्त और सुन्नतों की मुह़ाफ़ज़त का जज़्बा लिये हुवे सूए मदीना रवां दवां है, लिहाज़ा दा'वते इस्लामी के पाकीज़ा और नेक माह़ोल से वाबस्ता होना सआ़दते दारैन है । (अच्छे माह़ोल की बरकतें, स. 22)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد