Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat
नहीं खाते ? उन्हों ने जवाब दिया : मैं ने खाना चबाने और सत्तू पीने में सत्तर तस्बीह़ात का अन्दाज़ा लगाया है (या'नी जितना वक़्त खाना खाने में लगता है, उतनी देर में 70 तस्बीह़ात पढ़ लेता हूं) । चालीस साल हुवे मैं ने रोटी खाई ही नहीं ताकि इन तस्बीह़ात का वक़्त ज़ाएअ़ न हो । (मुकाशफ़तुल क़ुलूब, स. 72)
3. मह़ब्बते इलाही की एक निशानी नफ़्स की ख़्वाहिशात के बा वुजूद अल्लाह पाक की रिज़ा पर अपनी पसन्द को क़ुरबान कर देना ।
ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम मुह़म्मद ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : अल्लाह पाक की इ़बादत तीन चीज़ों का नाम है । (1) शरीअ़त के अह़काम की पाबन्दी करना । (2) अल्लाह पाक की त़रफ़ से मुक़र्रर कर्दा फै़सलों और तक़्सीम पर राज़ी रहना और (3) अल्लाह पाक की रिज़ा के लिये अपने नफ़्स की ख़्वाहिशात को क़ुरबान कर देना । (बेटे को नसीह़त, स. 37, मुलख़्ख़सन)
ह़ज़रते सय्यिदुना सरी सक़त़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाया करते थे : चालीस साल से मेरे नफ़्स को शहद खाने की ख़्वाहिश है लेकिन आज तक मैं ने उस की ख़्वाहिश पूरी नहीं की । (तज़किरतुल औलिया, स. 163)
4. मह़ब्बते इलाही की एक निशानी अपना दिल दुन्या की मह़ब्बत से ख़ाली कर के मुकम्मल त़ौर पर अल्लाह पाक की बारगाह में झुकाए रखना भी है । मन्क़ूल है : अल्लाह पाक ने ह़ज़रते सय्यिदुना ई़सा عَلَیْہِ السَّلَام की त़रफ़ वह़्य उतारी : ऐ ई़सा ! जब किसी बन्दे का दिल दुन्या व आख़िरत की मह़ब्बत से पाको साफ़ हो जाता है, तो उस में अपनी मह़ब्बत भर देता हूं ।
5. मह़ब्बते इलाही की एक निशानी ऐसे तमाम कामों से दूर रहना है जो अल्लाह पाक का क़ुर्ब ह़ासिल होने में रुकावट बनते हों ।
ह़ज़रते सय्यिदुना ज़ुन्नून मिस्री رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : अल्लाह पाक से मह़ब्बत करने वाले की निशानी येह भी है कि हर उस चीज़ को छोड़ दे जो अल्लाह पाक की याद से ग़ाफ़िल कर दे और अपने आप को अल्लाह पाक की रिज़ा वाले कामों में मसरूफ़ रखे । (الزہدالکبیر, ص ۷۸)