Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat

Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat

अ़क़्लमन्द का कहना है : "करने वाले काम करो, वरना न करने वाले कामों में पड़ जाओगे ।" मगर अफ़्सोस ! आज कल लोगों की एक ता'दाद न करने वाले कामों में ऐसे मसरूफ़ हो गई है कि करने वाले कामों की त़रफ़ तवज्जोह ही न रही । लोग दुन्या की फ़िक्र में ऐसे पड़े कि आख़िरत की फ़िक्र करना ही छोड़ दी, माल की मह़ब्बत में ऐसे गिरिफ़्तार हुवे कि क़ियामत के दिन लिये जाने वाले ह़िसाब से बिल्कुल ही ग़ाफ़िल हो गए, मख़्लूक़ की मह़ब्बत में ऐसे गुम हुवे कि अल्लाह पाक की याद ही दिल से भुला बैठे हैं, गुनाहों की मह़ब्बत में पड़े, तो तौबा से ही गए और आ़लीशान मकानात ता'मीर करने की फ़िक्र सर पर सुवार हुई, तो आख़िरत को संवारने की त़रफ़ तवज्जोह ही न रही । ज़रा सोचिये ! हमें क्या काम करने थे और हम किन कामों में मसरूफ़ हैं ? ग़ौर कीजिये ! कहीं येह वोही दौर तो नहीं है जिस की ख़बर देते हुवे मदनी आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने सदियों पहले ही हमें ख़बरदार फ़रमा दिया था । चुनान्चे,

पांच की चाहत, पांच से ग़फ़्लत

          नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : سَیَأْ تِیْ زَمَانٌ عَلٰی اُمَّتِیْ یُحِبُّوْنَ خَمْسًا وَ یَنْسَوْنَ خَمْسًا मेरी उम्मत पर वोह ज़माना जल्द आएगा कि वोह पांच से मह़ब्बत रखेंगे और पांच को भूल जाएंगे : (1) یُحِبُّوْنَ الدُّنیَا وَ یَنْسَوْنَ الْاٰخِرۃَ दुन्या से मह़ब्बत रखेंगे और आख़िरत को भूल जाएंगे । (2) وَیُحِبُّوْنَ الْمَالَ وَ یَنْسَوْنَ الْحِسَابَ माल से मह़ब्बत रखेंगे और ह़िसाबे (आख़िरत) को भूल जाएंगे । (3) وَیُحِبُّوْنَ الْخَلْقَ وَیَنْسَوْنَ الْخَالِقَ मख़्लूक़ से मह़ब्बत रखेंगे और मख़्लूक़ को पैदा करने वाले को भूल जाएंगे । (4) وَیُحِبُّوْنَ الذُّنُوْبَ وَیَنْسَوْنَ التَّوبَۃَ गुनाहों से मह़ब्बत रखेंगे और तौबा को भूल जाएंगे । (5) وَیُحِبُّوْنَ الْقُصُوْرَ وَیَنْسَوْنَ الْمَقْبَرَۃَ मह़ल्लात से मह़ब्बत रखेंगे और क़ब्रिस्तान को भूल जाएंगे । (مُکاشَفۃُ الْقُلوب،الباب العاشر فی العشق، ص۳۴)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد