Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat
उन की "ग़म ख़्वारी" की और इनफ़िरादी कोशिश करते हुवे दा'वते इस्लामी के इस्लामी बहनों के हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में पाबन्दी के साथ शिर्कत की भी निय्यत करवाई । इस के इ़लावा उन्हें सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में अपने मसाइल के ह़ल के लिये दुआ़ करने की भी तरग़ीब दी । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ उस इस्लामी बहन की इनफ़िरादी कोशिश की बरकत से वोह हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में शिर्कत की सआ़दत ह़ासिल करने लगीं । वहां वोह अपने मसाइल के ह़ल के लिये अल्लाह की बारगाह में दुआ़ भी किया करतीं । अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ से बैअ़त हो कर अ़त़्त़ारिय्या भी बन गईं । कुछ ही अ़र्सा गुज़रा था कि अल्लाह ने उन के बच्चों के अब्बू को अच्छी मुलाज़मत अ़त़ा फ़रमाई । करम बालाए करम येह हुवा कि कुछ ही अ़र्से में उन्हों ने किराए का मकान छोड़ कर अपना ज़ाती मकान भी ख़रीद लिया । अल्लाह ने अपने ह़बीबे लबीब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के सदके़, सुन्नतों भरे इजतिमाआ़त में शिर्कत की बरकत से उन्हें बच्चों की शादी के फ़रीज़े से ओ़ह्दा बरआ होने की भी त़ाक़त दे दी । इस त़रह़ दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल की बरकत से उन के मसाइल का रेगिस्तान, हंसते, मुस्कुराते नख़्लिस्तान में तब्दील हो गया । اَلْحَمْدُ لِلّٰہِ رَبِّ الْعٰلَمِیْن (इस्लामी बहनों की नमाज़, स. 289) (अगर आप को भी दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल के ज़रीए़ कोई मदनी बहार या बरकत मिली हो, तो आख़िर में ज़िम्मेदार इस्लामी बहन को जम्अ़ करवा दें ।)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! एक मुसलमान को अपने रब्बे करीम से जितनी मह़ब्बत होनी चाहिये उतनी पूरी मख़्लूक़ में से किसी से भी नहीं होनी चाहिये, इसी में ईमान की अ़लामत व मिठास है । यक़ीनन हम में से हर एक का दा'वा तो है कि मुझे अपने रब्बे करीम से बहुत मह़ब्बत है मगर बद क़िस्मती से हमारे आ'माल इस के बर ख़िलाफ़ हैं, गोया हमारा किरदार ही हमारी आ़दात का वाज़ेह़ इन्कार कर रहा होता है । हमारी अ़मली ह़ालत से तो ऐसा लगता है कि हमें अपने रब्बे करीम से इतनी भी मह़ब्बत नहीं जितनी लोगों से है । किसी