Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat
तड़पना, सर्दियों की त़वील (या'नी लम्बी) रातों में क़ियाम (या'नी इ़बादत करना) और गर्मियों के लम्बे दिनों में रोज़े, अल्लाह पाक के लिये मह़ब्बत करना, उसी की ख़ात़िर दुश्मनी रखना, उसी की ख़ात़िर किसी को कुछ देना और उसी की ख़ात़िर किसी से रोक लेना, ने'मत पर शुक्र, मुसीबत में सब्र, हर ह़ाल में ख़ुदा (पाक) पर भरोसा (करना), अपने हर मुआ़मले को अल्लाह पाक के सिपुर्द (या'नी ह़वाले) कर देना, अल्लाह पाक के अह़काम पर अ़मल के लिये हर वक़्त तय्यार रहना, दिल को किसी और की मह़ब्बत से पाक रखना, अल्लाह पाक के प्यारों से मह़ब्बत और अल्लाह पाक के दुश्मनों से नफ़रत करना, अल्लाह पाक के प्यारों का फ़रमां बरदार रहना, अल्लाह पाक के सब से प्यारे रसूल व मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को दिलो जान से मह़बूब रखना, अल्लाह पाक के कलाम की तिलावत, अल्लाह पाक के ख़ास बन्दों को अपने दिलों के क़रीब रखना, इन से मह़ब्बत रखना, अल्लाह पाक की मह़ब्बत में इज़ाफे़ के लिये इन की सोह़बत इख़्तियार करना, अल्लाह पाक की ता'ज़ीम समझते हुवे इन की ता'ज़ीम करना, येह तमाम उमूर (या'नी काम) और इन के इ़लावा सैंक्ड़ों काम ऐसे हैं जो मह़ब्बते इलाही की दलील भी हैं और उस के तक़ाज़े भी हैं ।
(तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान, स. 264, मुलख़्ख़सन)
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना कि अल्लाह पाक की मह़ब्बत के तक़ाज़े क्या क्या हैं ? या'नी अगर कोई मह़ब्बते इलाही का दा'वा करती है, तो उस के दिन रात कैसे गुज़रने चाहियें ? उस का सर अल्लाह पाक की बारगाह में झुका हुवा होना चाहिये, उस की आंखें अल्लाह पाक की याद में बहती रहनी चाहियें, उस का दिल अल्लाह पाक की रिज़ा के लिये बे क़रार होना चाहिये, दिन रोज़े में गुज़रे, तो रातें इ़बादत में कटें ।
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! यक़ीनन हमें भी अपने अन्दर अल्लाह पाक की मह़ब्बत पैदा करने की कोशिश करनी चाहिये । अल्लाह पाक ने एक बार अपने नबी, ह़ज़रते सय्यिदुना दावूद عَلَیْہِ السَّلَام से फ़रमाया : ऐ दावूद ! अगर तू मुझ से मह़ब्बत करना चाहता है, तो दुन्या की मह़ब्बत को अपने दिल