Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat

Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat

ह़िसाब किताब की वज्ह से अच्छा कलाम न कर सका ? मैं ने कहा : मुझे ग़ौरो फ़िक्र करने और छुपे हुवे औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के बारे में जानने की ख़्वाहिश आप के पास लाई है । उस ने कहा : ऐ नौजवान ! बेशक अल्लाह पाक के कुछ बन्दे ऐसे हैं कि जिन के दिलों में उन की अपने ह़क़ीक़ी मह़बूब से मह़ब्बत असर करती है, तो उस के साथ बहुत ज़ियादा मह़ब्बत के सबब उन की रूह़ें फ़िरिश्तों की दुन्या में सैर करती हैं और अल्लाह पाक के जम्अ़ शुदा ख़ज़ानों को देखती हैं, तो अल्लाह पाक की ज़ात उन को अपने जमाल दिखाती है, वोह उस को इस त़रह़ देखते हैं कि उन के दिल उस की मह़ब्बत में आबाद होते हैं, उन की रूह़ें उस से मुलाक़ात के लिये उड़ती रहती हैं और वोह दुन्या व आख़िरत के बादशाह हैं । फिर उस शख़्स ने रोना शुरूअ़ कर दिया और दुआ़ की : ऐ अल्लाह पाक ! इन औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن जैसे आ'माल की मुझे भी तौफ़ीक़ दे और मुझे भी इन के साथ मिला दे । फिर उस ने एक ज़ोरदार चीख़ मारी और ज़मीन पर तशरीफ़ ले आया और उस की रूह़ जिस्म से जुदा हो गई । अल्लाह पाक की क़सम ! येह अल्लाह पाक से डरने वालों और उस को पहचानने वालों की निशानियां हैं ।

        प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! पारह 2, सूरतुल बक़रह की आयत नम्बर 165 में इरशादे रब्बानी है :

وَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَشَدُّ حُبًّا لِّلّٰهِؕ-(۲،البقرۃ،۱۶۵)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और ईमान वाले सब से ज़ियादा अल्लाह पाक से मह़ब्बत करते हैं ।

        बयान कर्दा आयते मुबारका के तह़्त "तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान" जिल्द 1, सफ़ह़ा नम्बर 264 पर है : अल्लाह पाक के मक़्बूल बन्दे, तमाम मख़्लूक़ात से बढ़ कर अल्लाह पाक से मह़ब्बत करते हैं । अल्लाह पाक की मह़ब्बत में जीना और अल्लाह पाक की मह़ब्बत में मरना उन की ज़िन्दगी का मक़्सद होता है, अपनी हर ख़ुशी पर अपने रब्बे करीम की ख़ुशी को तरजीह़ देना, नर्म नर्म बिस्तरों को छोड़ कर अपने रब्बे (करीम) की बारगाह में सजदे में रहना, अल्लाह पाक की याद में रोना, अल्लाह पाक की रिज़ा के ह़ुसूल के लिये