Chughli Ka Azaab-o-Chughal Khor Ki Mozammat

Book Name:Chughli Ka Azaab-o-Chughal Khor Ki Mozammat

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! याद रखिये ! जिस त़रह़ चुग़ल ख़ोरी मुसलमानों में ग़ीबतों, तोहमतों, दिल आज़ारियों, लड़ाई, झगड़ों और दीगर कई बुराइयों के दरवाज़े खोलती है । इसी त़रह़ इस की एक बड़ी नुह़ूसत येह  भी है कि इस के सबब बारगाहे इलाही में दुआ़एं भी मक़्बूल नहीं होतीं । आइये ! इस ज़िमन में एक फ़िक्र अंगेज़ ह़िकायत मुलाह़ज़ा कीजिये । चुनान्चे,

चुग़ल ख़ोरी का वबाल

          ह़ज़रते सय्यिदुना का'बुल अह़बार رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ रिवायत करते हैं : एक दफ़्आ़ ह़ज़रते सय्यिदुना मूसा عَلَیْہِ السَّلَام के ज़माने में सख़्त क़ह़्त़ पड़ गया । आप عَلَیْہِ السَّلَام बनी इसराईल की हमराही में बारिश के लिये दुआ़ मांगने चले लेकिन बारिश न हुई । आप عَلَیْہِ السَّلَام ने तीन दिन तक येही मा'मूल रखा लेकिन बारिश फिर भी न हुई । फिर अल्लाह पाक की त़रफ़ से वह़्य नाज़िल हुई : ऐ मूसा ! मैं तुम्हारी और तुम्हारे साथ वालों की दुआ़ क़बूल नहीं करूंगा क्यूंकि उन में एक चुग़ल ख़ोर है । ह़ज़रते सय्यिदुना मूसा عَلَیْہِ السَّلَام ने अ़र्ज़ की : ऐ परवर दगार ! वोह कौन है ? ताकि हम उसे यहां से निकाल दें । अल्लाह पाक की त़रफ़ से जवाब मिला : ऐ मूसा ! मैं तो बन्दों को इस से रोकता हूं । ह़ज़रते सय्यिदुना मूसा عَلَیْہِ السَّلَام ने बनी इसराईल को ह़ुक्म फ़रमाया कि तुम सब बारगाहे इलाही में चुग़ली से तौबा करो । जब सब ने तौबा की, तो अल्लाह पाक ने उन्हें बारिश अ़त़ा फ़रमा दी । (احیاء العلوم،کتاب الاذکار والدعوات،الباب الثانی،۱/۴۰۷)

गोश्त की छोटी सी बोटी

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि चुग़ली करना इस क़दर बुरा अ़मल है कि इस की नुह़ूसत सिर्फ़ चुग़ल ख़ोर की ज़ात तक ही मह़दूद नहीं रहती बल्कि दीगर लोगों को भी मुश्किलात में डाल देती है । लिहाज़ा हमें चाहिये कि हम अपनी ज़बान को चुग़ल ख़ोरी बल्कि हर त़रह़ की बुराइयों से पाको साफ़ रखने की भरपूर कोशिश करें क्यूंकि ज़बान अगर्चे ब ज़ाहिर गोश्त की एक छोटी सी बोटी है मगर येह अल्लाह पाक की अ़ज़ीमुश्शान ने'मत है । इस ने'मत की क़द्र तो शायद गूंगा ही जान सकता है । ज़बान का दुरुस्त इस्ति'माल जन्नत में और ग़लत़ इस्ति'माल जहन्नम में दाख़िल कर सकता है । इस ज़बान से तिलावते क़ुरआन करने वाला और दुरूदो सलाम पढ़ने वाला रब्बे करीम की इ़नायत से जन्नत में जाता है । इस ज़बान से किसी मुसलमान को गाली निकालने वाला, ग़ीबत व चुग़ली करने और इल्ज़ाम लगाने वाला, अ़ज़ाबे जहन्नम का ह़क़दार क़रार पाता है । अगर कोई ग़ैर मुस्लिम भी दिल की तस्दीक़ के साथ ज़बान से لَآ اِلٰہَ اِلَّا اللہُ مُحَمَّدٌ رَّسُوْلُ اللہ(صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) पढ़ ले, तो कुफ़्रो शिर्क की सारी गन्दगी से पाक हो जाता है, उस की ज़बान से निकला हुवा येह कलिमा उस के पिछले तमाम गुनाहों के मैल कुचैल को धो डालता है, ज़बान से अदा किये हुवे इस कलिमए पाक के बाइ़स वोह गुनाहों से ऐसा पाको साफ़ हो जाता है जैसा कि उस रोज़ था जिस रोज़ उस की मां ने उसे जना था । येह अ़ज़ीम मदनी इन्क़िलाब दिल की तस्दीक़ के साथ साथ ज़बान से अदा किये हुवे कलिमे शरीफ़ की बदौलत आया ।

        ऐ काश ! हम भी अपनी ज़बान का सह़ीह़ इस्ति'माल करना सीख लें, ग़ीबतों, चुग़लियों और इल्ज़ामात से भरी बातों से पीछा छुड़ा लें, बेशक अल्लाह करीम और रसूले अकरम, शाहे बनी