Chughli Ka Azaab-o-Chughal Khor Ki Mozammat

Book Name:Chughli Ka Azaab-o-Chughal Khor Ki Mozammat

       मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! येह दुन्या जिस में हम सब अपनी ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं, येह दर ह़क़ीक़त आख़िरत की खेती है और ज़िन्दगी, मौत तक पहुंचाने वाला एक सफ़र है, लिहाज़ा हमारा हर अच्छा बुरा अ़मल आख़िरत के लिये ज़ख़ीरा हो रहा है और हमारी हर सांस हमें मौत के क़रीब कर रही है । समझदार (Wise) इन्सान वोही है जो अपनी सांसें अल्लाह पाक की रिज़ा और फ़रमां बरदारी में गुज़ारे, आख़िरत में फ़ाइदा देने वाले आ'माल करे और नुक़्सान देने वाले कामों से ख़ुद को दूर रखे ।

          याद रहे ! जिस त़रह़ चोरी, शराब नोशी, बद निगाही, बदकारी, झूट, ग़ीबत, ह़सद वग़ैरा बुराइयों से बचना हम सब पर ज़रूरी है, इसी त़रह़ "चुग़ल ख़ोरी" से बचना भी हर एक पर लाज़िम है । आइये ! आज के इस हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में हम चुग़ल ख़ोरी की तबाहकारियों, अ़ज़ाबात और चुग़ल ख़ोरों की मज़म्मत के बारे में सुनते हैं ।

चुग़ली के सबब अ़ज़ाबे क़ब्र

          ह़ज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से मरवी है कि हम शफ़ीए़ रोज़े शुमार, दो आ़लम के मालिको मुख़्तार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के साथ चल  रहे थे, हमारा गुज़र दो क़ब्रों के पास से हुवा, आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ठहर गए, लिहाज़ा हम भी आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के साथ ठहर गए, आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का रंग मुबारक तब्दील होने लगा, यहां तक कि आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की क़मीस मुबारक की आस्तीन कपकपाने लगी । हम ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! क्या मुआ़मला है ? आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : क्या तुम भी वोह आवाज़ सुन रहे हो जो मैं सुन रहा हूं ? हम ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! आप क्या सुन रहे हैं ? आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : इन दोनों अफ़राद पर इन की क़ब्रों में इन्तिहाई सख़्त अ़ज़ाब हो रहा है, वोह भी ऐसे गुनाह की वज्ह से जो ह़क़ीर है (या'नी इन दोनों के ख़याल में मा'मूली था या फिर येह कि उस से बचना इन के लिये आसान था) । हम ने अ़र्ज़ की : वोह कौन सा गुनाह है ? तो आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : इन में से एक पेशाब से न बचता था और दूसरा अपनी ज़बान से लोगों को अज़िय्यत देता और चुग़ली करता था । फिर आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने खजूर की दो टहनियां मंगवाईं और उन में से हर एक क़ब्र पर एक एक टहनी रख दी । हम ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! क्या येह चीज़ इन को कोई फ़ाइदा देगी ? आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : हां ! जब तक येह दोनों टहनियां तर रहेंगी, इन से अ़ज़ाब में कमी होती रहेगी ।

(صحیح ابن حبان، کتاب الرقائق، باب الاذکار،حدیث: ۸۲۱، ۲/۹۶، '' لایستنزہ''بدلہ''لایستتر'')

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! बयान कर्दा ह़दीसे मुबारक से हमें 3 मदनी फूल ह़ासिल हुवे : (1) हमारे आक़ा, मदीने वाले मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को अल्लाह पाक की अ़त़ा से इ़ल्मे ग़ैब ह़ासिल है, जभी तो आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने दो शख़्सों पर होने वाले अ़ज़ाबे क़ब्र को न सिर्फ़ मुलाह़ज़ा फ़रमा लिया बल्कि येह भी इरशाद फ़रमा दिया कि वोह दोनों किस गुनाह के सबब