Chughli Ka Azaab-o-Chughal Khor Ki Mozammat

Book Name:Chughli Ka Azaab-o-Chughal Khor Ki Mozammat

(2) जो बा वुजूदे क़ुदरत ज़ेबो ज़ीनत का लिबास पहनना आ़जिज़ी के त़ौर पर छोड़ दे, तो अल्लाह पाक उस को करामत (या'नी बुज़ुर्गी) का ह़ुल्ला (या'नी लिबास) पहनाएगा । (ابوداوٗد ۴/۳۲۶ حدیث:۴۷۷۸) ٭ ख़ातमुल मुर्सलीन, रह़मतुल्लिल आ़लमीन صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का मुबारक लिबास अक्सर सफे़द कपड़े का होता ।

 ( کَشْفُ الاِلْتِباس فِی اسْتِحْبابِ اللِّباس،ص۳۶)

٭ जो लिबास ह़राम कमाई से ह़ासिल हुवा हो, उस में फ़र्ज़ व नफ़्ल कोई नमाज़ क़बूल नहीं होती । (کَشْفُ الاِلْتِباس فِی اسْتِحْبابِ اللِّباس،ص۴۱) ٭ मन्क़ूल है : जिस ने बैठ कर इ़मामा बांधा या खड़े हो कर पाजामा या शल्वार पहनी, तो अल्लाह पाक उसे ऐसे मरज़ में मुब्तला फ़रमाएगा जिस की दवा नहीं । (کَشْفُ الاِلْتِباس فِی اسْتِحْبابِ اللِّباس،ص ۳۹) ٭ पहनते वक़्त सीधी त़रफ़ से शुरूअ़ कीजिये (कि सुन्नत है) । मसलन जब कुर्ता पहनें, तो पहले सीधी आस्तीन में सीधा हाथ दाख़िल कीजिये फिर उल्टा हाथ उल्टी आस्तीन में । (کَشْفُ الاِلْتِباس فِی اسْتِحْبابِ اللِّباس،ص۴۳) ٭ इसी त़रह़ पाजामा पहनने में पहले सीधे पाइंचे में सीधा पाउं दाख़िल कीजिये और जब (कुर्ता या पाजामा) उतारने लगें, तो उल्टी त़रफ़ से शुरूअ़ कीजिये । मक्तबतुल मदीना की किताब "बहारे शरीअ़त" जिल्द 3, सफ़ह़ा नम्बर 409 पर है : सुन्नत येह है कि दामन की लम्बाई आधी पिन्डली तक हो और आस्तीन की लम्बाई ज़ियादा से ज़ियादा उंगलियों के पौरों तक और चौड़ाई एक बालिश्त हो । (رَدُّالْمُحتار ج ۹ ص ۵۷۹) ٭ सुन्नत येह है कि मर्द का तेह्बन्द या पाजामा टख़्ने से ऊपर रहे । (मिरआतुल मनाजीह़, 6 / 94) ٭ मर्द मर्दाना और औ़रत ज़नाना ही लिबास पहने । छोटे बच्चों और बच्चियों में भी इस बात का लिह़ाज़ रखिये । ٭ "बहारे शरीअ़त" जिल्द अव्वल, सफ़ह़ा नम्बर 481 पर है : मर्द के लिये नाफ़ के नीचे से घुटनों के नीचे तक "औ़रत" है, या'नी इस का छुपाना फ़र्ज़ है, नाफ़ इस में दाख़िल नहीं और घुटने दाख़िल हैं ।

(دُرِّمُختار، رَدُّالْمُحتار ج۲ص۹۳)

 صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!     صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد