Chughli Ka Azaab-o-Chughal Khor Ki Mozammat

Book Name:Chughli Ka Azaab-o-Chughal Khor Ki Mozammat

ख़ोरी के सबब दिलों में नफ़रतें क़ाइम हो जाती हैं, चुग़ल ख़ोरी के सबब एक दूसरे पर ए'तिबार उठ जाता है । जैसा कि बयान कर्दा ह़िकायत में हम ने सुना कि एक शख़्स ने चुग़ल ख़ोरी को मा'मूली ऐ़ब समझा, तो इसी की नुह़ूसत ने उस के घर को वीरान कर दिया, चुग़ल ख़ोरी की आफ़त के सबब हंसी ख़ुशी ज़िन्दगी गुज़ारने वालों के दरमियान शुकूको शुब्हात पैदा हो गए, चुग़ल ख़ोरी के सबब वोह और उस की बीवी मौत के घाट उतर गए और बिल आख़िर उन के अ़ज़ीज़ो अक़ारिब के दरमियान भी क़त्लो ग़ारत गरी का वोह बाज़ार गर्म हुवा कि اَلْاَمَانْ وَالْحَفِیْظ । लिहाज़ा ख़ुद भी चुग़ल ख़ोरी से बचिये और दूसरों को भी बचते रहने की तरग़ीब दिलाइये । अल्लाह पाक हम सब को लड़ाई, झगड़े, चुग़ली और तमाम गुनाहों से मह़फ़ूज़ फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

 صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!     صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! याद रखिये ! जब भी हमारे पास आ कर किसी के बारे में कोई मन्फ़ी बात कहे, मसलन फ़ुलां शख़्स धोकेबाज़ है, फ़ुलां शख़्स वा'दा ख़िलाफ़ी करता है, फ़ुलां शख़्स ने आप की बुराई की है वग़ैरा, तो हमें आंखें बन्द कर के फ़ौरन उस की बात पर हरगिज़ ए'तिमाद नहीं करना चाहिये क्यूंकि ग़ीबत व चुग़ली करने के सबब वोह फ़ासिक़ या'नी खुल्लम खुल्ला गुनाह करने वाला हो गया और फ़ासिक़ की ख़बर पर ए'तिबार नहीं करना चाहिये । अगर हम बुज़ुर्गाने दीन की सीरत का मुत़ालआ़ करें, तो हमें येह मदनी फूल मिलेगा कि उन के पास जब कोई ऐसी ख़बर लाता जो किसी के ख़िलाफ़ होती, तो येह ह़ज़रात उस की ख़बर को बिला तह़क़ीक़ मान लेने के बजाए उस की इस्लाह़ करते हुवे उसे नसीह़त के मदनी फूलों से नवाज़ते थे । आइये ! इस ज़िमन में 4 सबक़ आमोज़ वाक़िआ़त मुलाह़ज़ा कीजिये । चुनान्चे,

चुग़ल ख़ोर कभी सच्चा नहीं हो सकता

          ह़ुज्जतुल इस्लाम, ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम मुह़म्मद ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ नक़्ल फ़रमाते हैं : ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम मुह़म्मद बिन शिहाब ज़ोहरी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ एक मरतबा बादशाह सुलैमान बिन अ़ब्दुल मलिक के पास तशरीफ़ फ़रमा थे कि एक शख़्स आया । बादशाह ने कुछ ना पसन्दीदगी के साथ उस से कहा : मुझे पता चला है तुम ने मेरे ख़िलाफ़ फ़ुलां फ़ुलां बात की है ! उस ने जवाब दिया : मैं ने तो ऐसा कुछ नहीं कहा । बादशाह ने इसरार करते हुवे कहा : जिस ने मुझे बताया है वोह (कैसे झूट बोल सकता है, बहुत) सच्चा आदमी है । ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम ज़ोहरी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने बादशाह को मुख़ात़ब कर के फ़रमाया : (आप को जिस ने इस त़रह़ की ख़बर दी, वोह तो चुग़ली खाने वाला हुवा और) चुग़ल ख़ोर कभी सच्चा हो नहीं सकता ! येह सुन कर बादशाह संभल गया और कहने लगा : ह़ुज़ूर ! आप ने बिल्कुल दुरुस्त फ़रमाया । फिर उस शख़्स से कहा : اِذْھَبْ بِسَلَامٍ तुम सलामती के साथ लौट जाओ ।

(इह़याउल उ़लूम, 3 / 193)