Book Name:Chughli Ka Azaab-o-Chughal Khor Ki Mozammat
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! मा'लूम हुवा ! किसी की बात सुन कर दूसरे से इस त़ौर पर कह देना कि दोनों में इख़्तिलाफ़ और झगड़ा हो जाए, ऐसा करना "चुग़ली" कहलाता है । अफ़्सोस ! सद अफ़्सोस ! आज हमारे मुआ़शरे में येह मरज़ तेज़ी के साथ आ़म होता जा रहा है । पहले के लोगों में एह़तिरामे मुस्लिम का जज़्बा कूट कूट कर भरा हुवा था और हर मुसलमान दूसरे मुसलमान भाई की इ़ज़्ज़त की ह़िफ़ाज़त करता था मगर आह ! अब हर त़रफ़ नफ़रतों की दीवारें क़ाइम हो चुकी हैं, चुग़ली की इस तबाह कुन बीमारी के सबब अब घर घर मैदाने जंग बना हुवा है । चुनान्चे, कल तक जो एक दूसरे पर जान निछावर करने के दा'वे किया करते थे, जो एक दूसरे की इ़ज़्ज़त की ह़िफ़ाज़त करने वाले थे, जिन की दोस्ती और उन के इत्तिफ़ाक़ व इत्तिह़ाद की मिसालें दी जाती थीं, जिन्हें एक दूसरे के ख़िलाफ़ एक लफ़्ज़ सुनना भी गवारा न था, जो एक दूसरे के बिग़ैर खाना तक नहीं खाते थे, जो बुरे वक़्त में एक दूसरे के काम आते थे, जो एक दूसरे को नेकी के कामों की तरग़ीबें दिलाया करते थे, चुग़ल ख़ोरी जैसे मन्ह़ूस शैत़ानी काम की नुह़ूसत के सबब उन के दरमियान नफ़रतों की ऐसी मज़बूत़ दीवारें क़ाइम हो जाती हैं कि फिर वोह एक दूसरे को देखना भी गवारा नहीं करते । यूं समझिये कि जिस त़रह़ आग (Fire) घरों, फे़क्ट्रियों, कम्पनियों, गोदामों, जंगलात, गांव, देहात और मुख़्तलिफ़ चीज़ों को घन्टों बल्कि मिनटों में जला कर तबाहो बरबाद कर डालती है, इसी त़रह़ नस्लों, क़ौमों, घरों, ख़ानदानों, इदारों, तन्ज़ीमों और तह़रीकों का अमन ख़राब करने और दिलों में नफ़रतों का बीज बोने में अक्सर चुग़ल ख़ोरी ही की तबाहकारियां नज़र आती हैं ।
इसी चुग़ल ख़ोरी के सबब असातिज़ा व त़लबा में ठनी हुई है, चुग़ल ख़ोरी के सबब मियां-बीवी के दरमियान झगड़ा ज़ोर पकड़ता जा रहा है, चुग़ल ख़ोरी के सबब सास बहू में तल्ख़ कलामी जारी है, चुग़ल ख़ोरी के सबब कारोबारी ह़िस्सेदार आपस में एक दूसरे के दुश्मन बने हुवे हैं, चुग़ल ख़ोरी के सबब मालिके मकान व किराए दारों में लड़ाई हो रही है, चुग़ल ख़ोरी के सबब स्टॉल लगाने वालों में तू तू, मैं मैं हो रही है, चुग़ल ख़ोरी के सबब ठेकेदार व मुलाज़िमीन एक दूसरे के दुश्मन हैं, चुग़ल ख़ोरी के सबब पड़ोसी एक दूसरे के ख़ून के प्यासे हैं, चुग़ल ख़ोरी के सबब रिश्तेदारों में ख़ाना जंगी का माह़ोल गर्म है, चुग़ल ख़ोरी के सबब इमाम व मुक़्तदियों में दूरियां बढ़ती जा रही हैं, चुग़ल ख़ोरी के सबब मस्जिद कमेटी और नमाज़ी ह़ज़रात आपस में दो दो हाथ करने में मसरूफ़ हैं और इसी चुग़ल ख़ोरी के सबब बरसों के दोस्तों (Friends) में नाराज़ी चल रही है ।
अगर हम ने क़ुरआनी अह़काम को नज़र अन्दाज़ न किया होता, अगर हम रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के फ़रामीन पर अ़मल पैरा होते, अगर हम ने अपने बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के इरशादात से नसीह़त के मदनी फूल चुने होते, अगर हम उ़लमाए ह़क़ के दामने करम से वाबस्ता रहते, अगर हम ने चुग़ल ख़ोरी की तबाहकारियों को पेशे नज़र रखा होता, तो आज हमारा मुआ़शरा भी अमनो सुकून का गहवारा बना होता । चुग़ल ख़ोरी करना कितना बुरा काम है ! इस