Chughli Ka Azaab-o-Chughal Khor Ki Mozammat

Book Name:Chughli Ka Azaab-o-Chughal Khor Ki Mozammat

1.     खोले, मेरी चुग़ली लगाए, तो मुझे मुसलमानों के बारे में भी ऐसा ही रवय्या रखना चाहिये । अगर आज मैं किसी की ग़ीबत व चुग़ली करूंगा या इधर की उधर लगाऊंगा, तो फिर मेरे बारे में भी इसी त़रह़ का सुलूक किया जाएगा । लिहाज़ा आ़फ़िय्यत इसी में है कि मुसलमानों की ख़ामियां देखने के बजाए, इन्सान सिर्फ़ अपनी ख़ामियां ही देखे और उन की इस्लाह़ में मसरूफ़ रहे ।

2.     आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के तह़्त होने वाले सुन्नतों भरे इजतिमाआ़त और शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के मदनी मुज़ाकरों में शिर्कत करने को अपना मा'मूल बना लीजिये,     

اِنْ شَآءَ اللّٰہ इस की बरकत से चुग़ल ख़ोरी समेत बहुत सी बात़िनी बीमारियों से नफ़रत पैदा होगी और एह़तिरामे मुस्लिम का जज़्बा बेदार होगा ।

3.     शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ और अल मदीनतुल इ़ल्मिय्या की तह़रीर कर्दा कुतुबो रसाइल का मुत़ालआ़ करने का मा'मूल बना लीजिये, बिल ख़ुसूस "इह़याउल उ़लूम" जिल्द 3, सफ़ह़ा नम्बर 468 ता 485 का मुत़ालआ़ ज़रूर कीजिये ।

4.     रोज़ाना फ़िक्रे मदीना करते हुवे मदनी इनआ़मात का रिसाला पुर करना और हर मदनी माह की पहली तारीख़ को अपने यहां के ज़िम्मेदार को जम्अ़ करवाना भी चुग़ली की आफ़त से नजात पाने का बेहतरीन ज़रीआ़ है । चुनान्चे, मदनी इनआ़म 38 है : क्या आज आप झूट, ग़ीबत, चुग़ली, ह़सद, तकब्बुर और वा'दा ख़िलाफ़ी से बचने में कामयाब हुवे ?

5.     आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी से वाबस्ता आ़शिक़ाने रसूल के साथ हर माह 3 दिन के मदनी क़ाफ़िलों में सफ़र का मा'मूल बना लीजिये, اِنْ شَآءَ اللّٰہ चुग़ली समेत कई बात़िनी बुराइयों से जान छूट जाएगी, फ़र्ज़ उ़लूम ह़ासिल होंगे और फ़िक्रे आख़िरत नसीब हो जाएगी । अल्लाह पाक हमें चुग़ली और चुग़ल ख़ोरों से मह़फ़ूज़ फ़रमाए ।

اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

 صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!     صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

लिबास पहनने की सुन्नतें और आदाब

मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आइये ! शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "163 मदनी फूल" से लिबास पहनने के मुतअ़ल्लिक़ मदनी फूल सुनते हैं । पहले 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुलाह़ज़ा कीजिये : (1) जिन्न की आंखों और लोगों के सित्र (या'नी शर्मगाह) के दरमियान पर्दा येह है कि जब कोई कपड़े उतारे, तो बिस्मिल्लाह कह ले ।

(اَلْمُعْجَمُ الْاَ وْسَط، ۲/۵۹حدیث ۲۵۰۴)

        ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : जैसे दीवार और पर्दे लोगों की निगाह के लिये आड़ बनते हैं, ऐसे ही येह अल्लाह पाक का ज़िक्र जिन्नात की निगाहों से आड़ बनेगा कि जिन्नात उस (या'नी शर्मगाह) को देख न सकेंगे । (मिरआतुल मनाजीह़, 1 / 268)