Shan e Usman e Ghani

Book Name:Shan e Usman e Ghani

आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को येह फ़रमाते सुना है कि उ़स्मान क़ुरआने पाक को जम्अ़ करेगा और येह रब्बे करीम का मह़बूब है । ह़ज़रते सय्यिदुना उ़स्माने ग़नी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने फ़रमाया : मैं आप से आगे नहीं बढ़ूंगा क्यूंकि मैं ने हु़ज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को येह फ़रमाते सुना कि उ़मर कितना अच्छा इन्सान है, बेवाओं और यतीमों की ख़बरगीरी करता है, उन के लिये उस वक़्त खाना लाता है जब लोग आलमे ख़्वाब में होते हैं । ह़ज़रते सय्यिदुना उ़मर बिन ख़त़्त़ाब رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने फ़रमाया : मैं आप से आगे नहीं बढ़ूंगा क्यूंकि मैं ने आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को येह फ़रमाते सुना है कि अल्लाह पाक ने "जैशिल उ़सरह" (या'नी ग़ज़्वए तबूक का लश्कर) तय्यार करने वाले उ़स्मान की मग़फ़िरत फ़रमा दी है । ह़ज़रते सय्यिदुना उ़स्मान رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने फ़रमाया : मैं आप से आगे नहीं  बढ़ूंगा क्यूंकि मैं ने आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को येह दुआ फ़रमाते सुना कि या अल्लाह पाक ! उ़मर बिन ख़त़्त़ाब के ज़रीए़ इस्लाम को इ़ज़्ज़त अ़त़ा फ़रमा और रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने आप का नाम "फ़ारूक़" रखा और अल्लाह करीम ने आप के ज़रीए़ ह़क़ व बात़िल के दरमियान फ़र्क़ किया । इस वाक़िए़ की ख़बर जब हु़ज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को हुई, तो आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने दोनों के लिये दुआ फ़रमाई और एक दूसरे से हु़स्ने अदब के साथ पेश आने पर उन की ता'रीफ़ फ़रमाई ।  (الروض الفائق ،ص:۳۱۳) 

        मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! इस वाक़िए़ से जहां सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان की आपस में मह़ब्बत व उल्फ़त और एक दूसरे का एह़तिराम करने का मुक़द्दस जज़्बा मा'लूम हुवा वहीं सय्यिदुना फ़ारूके़ आ'ज़म और सय्यिदुना उ़स्माने ग़नी (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا) की अ़ज़मत व शान भी वाज़ेह़ हो गई । मज़ीद इस से येह मदनी फूल भी मिला कि जब सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان एक दूसरे के मक़ामो मर्तबे का एह़तिराम करते हैं, तो हमें तो उन की अ़ज़मत व शौकत को ख़ूब ख़ूब बयान करना चाहिये और न सिर्फ़ ख़ुद उन की मह़ब्बत को अपने दिल में बिठाए रखें बल्कि अपनी औलाद को भी सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان की मह़ब्बत और उन का अदब सिखाएं । इस का एक बेहतरीन ज़रीआ येह भी है