Shan e Usman e Ghani

Book Name:Shan e Usman e Ghani

الْحَبِیْبِ،  वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वाली की दिलजूई के लिये पस्त आवाज़ से जवाब दूंगी । ٭ इजतिमाअ़ के बा'द ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम व मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगी । ٭ दौराने बयान मोबाइल के ग़ैर ज़रूरी इस्ति'माल से बचूंगी, न बयान रीकॉर्ड करूंगी, न ही और किसी क़िस्म की आवाज़ (कि इस की इजाज़त नहीं) । जो कुछ सुनूंगी, उसे सुन और समझ कर, उस पे अ़मल करने और उसे बा'द में दूसरों तक पहुंचा कर नेकी की दा'वत आम करने की सआदत ह़ासिल करूंगी ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

        मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! तमाम सह़ाबए किराम رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُم अहले ख़ैर व सलाह़ (या'नी बेहतरीन लोगों में से) हैं और आदिल, इन का जब ज़िक्र किया जाए, तो ख़ैर ही के साथ होना फ़र्ज़ है, किसी सह़ाबी के साथ सूए अ़क़ीदत, बद मज़हबी व गुमराही व इस्तिह़क़ाक़े जहन्नम (या'नी उन की शान में गुस्ताख़ी करना गुमराही और जहन्नम का ह़क़दार होना) है (क्यूं) कि (इन से बुग़्ज़ रखना दर ह़क़ीक़त) ह़ुज़ूरे अक़्दस صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के साथ बुग़्ज़ है । तमाम सह़ाबए किराम आ'ला व अदना (और उन में अदना कोई नहीं) सब जन्नती हैं, वोह जहन्नम की भिनक (या'नी हल्की से आवाज़ भी) न सुनेंगे और हमेशा अपनी मन मानती मुरादों में रहेंगे । (बहारे शरीअ़त, 1 / 254)

        उन नुफ़ूसे क़ुदसिय्या की फ़ज़ीलत व मद्ह़ (या'नी ता'रीफ़), उन के ह़ुस्ने अ़मल, ह़ुस्ने अख़्लाक़ और ह़ुस्ने ईमान के तज़किरों से किताबें माला माल हैं और उन्हें दुन्या ही में मग़फ़िरत, इनआमाते उख़रवी और बारी तआला की रिज़ा व ख़ुशनूदी का मुज़्दा सुनाया गया । चुनान्चे, पारह 11, सूरतुत्तौबा की आयत नम्बर 100 में इरशाद होता है :

(پ 11، التوبہ، 100) رَّضِیَ اللّٰهُ عَنْهُمْ وَ رَضُوْا عَنْهُ

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : इन सब से अल्लाह राज़ी हुवा और येह अल्लाह से राज़ी हैं ।

        18 ज़ुल ह़िज्जा सह़ाबए किराम में से एक अ़ज़ीम हस्ती, ख़लीफ़ए सिवुम, ह़ज़रते सय्यिदुना उ़स्माने ग़नी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ की शहादत का दिन है ।