Book Name:Shan e Usman e Ghani
पहली बार में 100 का ए'लान किया, दूसरी बार 100 ऊंट के इ़लावा और 200 का, तीसरी बार और 300 का, कुल 600 ऊंट (पेश करने) का ए'लान फ़रमाया ।
(मिरआतुल मनाजीह़, जि. 8, स. 395, अज़ : करामाते उ़स्माने ग़नी, स. 6)
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना उ़स्माने ग़नी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ जिस त़रह़ दीने इस्लाम की सर बुलन्दी के लिये अपना माल लुटाते थे, इसी त़रह़ ख़ुद भी पीछे नहीं रहते थे । आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ उन चन्द सह़ाबए किराम رَضِیَ اللہُ تَعَالٰی عَنْہُمۡ اَجۡمَعِیۡن में से हैं जिन्हों ने राहे ख़ुदा में दो बार हिजरत की, एक बार ह़बशा की त़रफ़ और दूसरी बार मदीनए मुनव्वरा زَادَہَا اللّٰہُ شَرَفًا وَّتَعْظِیْمًا की त़रफ़ । इसी लिये आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ को "साह़िबुल हिजरतैन" के लक़ब से भी याद किया जाता है, जिस का मत़लब है दो हिजरतें करने वाला ।
(طبقات کبری، عثمان بن عفان، ج۳، ص۴۰، اسد الغابۃ، عثمان بن عفان، ج۱، ص۷۴۹, करामाते उ़स्माने ग़नी, स. 4)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना कि अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना उ़स्माने ग़नी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ को आप की अ़ज़मत के पेशे नज़र किन किन अल्क़ाबात से याद किया जाता है । यक़ीनन एक शख़्स के उ़म्दा औसाफ़ जितने ज़ियादा होंगे उतना ही उसे अच्छे अल्क़ाब और अच्छे अन्दाज़ से याद किया जाएगा । अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना उ़स्माने ग़नी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ का इतने अल्क़ाबात का होना आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ की अ़ज़मत व शान की अ़लामत है ।
अह़ादीसे मुबारका और शाने उ़स्माने ग़नी
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! उ़मूमन देखा जाता है कि एक ग़ुलाम तो अपने आक़ा की इ़नायतों और उस के लुत़्फ़ो करम के सबब उस की ता'रीफ़ में रत़्बुल्लिसान रहता है लेकिन कमाल येह है कि जब आक़ा भी अपने ग़ुलाम की