Book Name:Shan e Usman e Ghani
ह़ज़रते इमाम अ़ल्लामा अह़मद बिन मुह़म्मद ख़त़ीब क़स्त़लानी शाफे़ई़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : सय्यिदे आलम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ इ़ल्मे गै़ब पर मुत़्त़लअ़ (या'नी बा ख़बर) हैं, येह बात सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان में बहुत मश्हूर और हर एक की ज़बान पर थी ।
(المواہب اللدنیۃ بالمنح المحمدیۃ، المقصد الثامن فی طبہ...الخ، الفصل الثالث فی انبائہ بالانباء المغیبات،ج۳،ص۹۱)
मजलिसे तजहीज़ो तक्फ़ीन का तआरुफ़
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! क़ुरआने की मह़ब्बत को दिल में बसाने, तिलावत का ज़ौक़ो शौक़ बढ़ाने और फै़ज़ाने उ़स्माने ग़नी से फै़ज़याब होने के लिये आशिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो कर नेकी की दा'वत की धूमें मचाइये । اَلْحَمْدُلِلّٰہ عَزَّوَجَلَّ दा'वते इस्लामी के 104 शो'बाजात (Departments) में से एक "मजलिसे तजहीज़ो तक्फ़ीन" भी है जिस का मक़्सद मुसलमानों को ग़ुस्ल व कफ़न से मुतअ़ल्लिक़ अहम शरई़ मसाइल से आगाह करना, मजलिस की इस्लामी बहनों की वक़्तन फ़-वक़्तन तरबिय्यत करना और उन का मुसलमानों की ख़ैर ख़्वाही करते हुवे मुर्दे के ग़ुस्ल व कफ़न का एहतिमाम करना और लवाह़िक़ीन को सब्र की तल्क़ीन करना है । लिहाज़ा ऐसे मौक़अ़ पर अपने अ़लाके़ में दा'वते इस्लामी की ज़िम्मेदार इस्लामी बहनों से राबित़ा कर के मय्यित के ग़ुस्ल व कफ़न की तरकीब बनाई जा सकती है ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मिस्वाक करने की सुन्नतें और आदाब
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! बयान को इख़्तिताम की त़रफ़ लाते हुवे आइये ! शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "163 मदनी फूल" से मिस्वाक के मदनी फूल सुनती हैं । पहले दो फ़रामैने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुलाह़ज़ा हों :