Shan e Usman e Ghani

Book Name:Shan e Usman e Ghani

कीजिये । ٭ हर बार मिस्वाक धो लीजिये । ٭ मिस्वाक सीधे हाथ में इस त़रह़ लीजिये कि छुंगलिया या'नी छोटी उंगली इस के नीचे और बीच की उंगलियां ऊपर और अंगूठा सिरे पर हो । ٭ पहले सीधी त़रफ़ के ऊपर के दांतों पर फिर उल्टी त़रफ़ के ऊपर के दांतों पर फिर सीधी त़रफ़ नीचे फिर उल्टी त़रफ़ नीचे मिस्वाक कीजिये । ٭ मुठ्ठी बांध कर मिस्वाक करने से बवासिर हो जाने का अन्देशा है । ٭ मिस्वाक वुज़ू की सुन्नते क़ब्लिय्या है, अलबत्ता सुन्नते मोअक्कदा उसी वक़्त है जब कि मुंह में बदबू हो । (माख़ूज़ अज़ : फ़तावा रज़विय्या, 1 / 623) ٭ मिस्वाक जब ना क़ाबिले इस्ति'माल हो जाए, तो फेंक मत दीजिये कि येह आलए अदाए सुन्नत है, किसी जगह एह़तियात़ से रख दीजिये या दफ़्न कर दीजिये या पथ्थर वग़ैरा वज़्न बांध कर समुन्दर में डुबो दीजिये ।

          मिस्वाक के फ़ज़ाइल और फ़वाइद के ह़वाले से मज़ीद मा'लूमात ह़ासिल करने के लिये शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "मिस्वाक शरीफ़ के फ़ज़ाइल" का मुत़ालआ कीजिये ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!        صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

दा'वते इस्लामी के हफ़्तावार

सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में पढ़े जाने वाले

6 दुरूदे पाक और 2 दुआएं

{1} शबे जुमुआ का दुरूद :

اَللّٰہُمَّ صَلِّ وَسَلِّمْ وَبَارِکْ عَلٰی سَیِّدِنَامُحَمَّدِنِ النَّبِیِّ الْاُمِّیِّ الْحَبِیْبِ الْعَالِی الْقَدْرِالْعَظِیْمِ

وَعَلٰی  اٰلِہٖ وَصَحْبِہٖ وَسَلِّمْ   الْجَاہِ

        बुज़ुर्गों ने फ़रमाया कि जो शख़्स हर शबे जुमुआ (जुमुआ और जुमा'रात की दरमियानी रात) इस दुरूद शरीफ़ को पाबन्दी से कम अज़ कम एक मरतबा पढे़गा, तो मौत के वक़्त सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ियारत करेगा और क़ब्र में दाख़िल होते वक़्त भी यहां तक कि वोह देखेगा कि सरकारे