Book Name:Shan e Usman e Ghani
अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के तख़रीज शुदा रसाइल से भी ह़स्बे मौक़अ़ दर्स दिया जा सकता है । (दौरानिया : 7 मिनट है)
اَلْحَمْدُلِلّٰہ عَزَّوَجَلَّ ! इस की बरकत से इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने का सवाब मिलता है, इसी त़रह़ घर दर्स ज़ाहिरी व बात़िनी अख़्लाक़ संवारने और अच्छी तरबिय्यत का एक बेहतरीन ज़रीआ है । लिहाज़ा आप तमाम इस्लामी बहनें घर दर्स शुरूअ़ करने की निय्यत फ़रमा लीजिये और दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से हर दम वाबस्ता हो जाइये । आइये ! बत़ौरे तरग़ीब मदनी माह़ोल से वाबस्तगी की एक मदनी बहार सुनिये और झूमिये । चुनान्चे,
बाबुल मदीना की एक इस्लामी बहन नमाज़ें क़ज़ा कर डालने और बे पर्दगी जैसे गुनाहों में गिरिफ़्तार थीं । अफ़्सोस ! उन्हें गुनाह को गुनाह समझने का भी एह़सास न था । उन्हें दुन्यावी आसाइशें मुयस्सर होने के बा वुजूद
क़ल्बी सुकून नसीब न था, वोह अ़जीब बेचैनी और घुटन का शिकार रहती थीं । اَلْحَمْدُلِلّٰہ عَزَّوَجَلَّ उन्हें सुकूने क़ल्ब इस त़रह़ मिला कि चन्द इस्लामी बहनों की दा'वत पर उन्हें दा'वते इस्लामी के हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में शिर्कत की सआदत मिली, वहां बयान सुना, अपने रब्बे क़दीर عَزَّوَجَلَّ का ज़िक्र किया और दुआ मांगी और रो रो कर अपने गुनाहों से तौबा की, तो उन्हें ऐसा मह़सूस हुवा गोया उन के दिल से कोई बोझ उतर गया है और उसे क़रार नसीब हो गया है । اَلْحَمْدُلِلّٰہ عَزَّوَجَلَّ इसी इजतिमाअ़ में शिर्कत की बरकत से वोह न सिर्फ़ मदनी माह़ोल से वाबस्ता हुईं बल्कि अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ से बैअ़त हो कर अ़त़्त़ारिया भी बन गईं । (मैं ने मदनी बुरक़अ़ क्यूं पहना ?, स. 19)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
ह़ज़रते उ़स्मान का मुसलमानों के लिये पानी ख़रीदना
मन्क़ूल है कि जब मुहाजिरीन, मक्कए मुअ़ज़्ज़मा زَادَہَا اللّٰہُ شَرَفًا وَّتَعْظِیْمًا से हिजरत फ़रमा कर मदीनए मुनव्वरा زَادَہَا اللّٰہُ شَرَفًا وَّتَعْظِیْمًا आए, तो यहां का नमकीन