Book Name:Shan e Usman e Ghani
पानी उन्हें रास न आया । बनी ग़फ़्फ़ार से तअ़ल्लुक़ रखने वाले एक शख़्स की मिल्क में पानी का एक मीठा चश्मा था जिसे "रूमह" कहा जाता था । वोह उस की एक मश्क एक मुद के इ़वज़ बेचते थे । रह़मते आलम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने उन से फ़रमाया : येह चश्मा मेरे हाथ एक चश्मए बिहिश्त (या'नी जन्नती चश्मे) के इ़वज़ बेच दो । उन्हों ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! मेरा और मेरे बच्चों का गुज़र बसर इसी पर है, मुझ में ऐसा करने की इस्तित़ाअ़त नहीं । जब येह ख़बर ह़ज़रते सय्यिदुना उ़स्माने ग़नी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ तक पहुंची, तो आप ने वोह चश्मा मालिक से पैंतीस हज़ार
दिरहम में ख़रीद लिया फिर बारगाहे रिसालत में ह़ाज़िर हो कर अ़र्ज़ की : يَا رَسُولَ اللهِ اَتَجْعَلُ لِي مِثْلَ الَّذِي جَعَلْتَهٗ لَهٗ عَيْنًا فِي الْجَنَّةِ اِنِ اشْتَرَيْتُھَا या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! क्या जिस त़रह़ आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ उस शख़्स को जन्नती चश्मा अ़त़ा फ़रमा रहे थे, अगर मैं येह चश्मा उस से ख़रीद लूं, तो हु़ज़ूर मुझे अ़त़ा फ़रमाएंगे ? आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : हां ! आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने अ़र्ज़ की : मैं ने वोह चश्मा ख़रीद कर मुसलमानों पर वक़्फ़ कर दिया । (معجم کبیر،بشیر الاسلمی ابو بشر،ج۲،ص۴۱)
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना ! जिस वक़्त मुसलमानों को पानी के ह़वाले से शदीद परेशानी थी, तो अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना उ़स्माने ग़नी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने वोह पूरा चश्मा ख़रीद कर राहे ख़ुदा में वक़्फ़ कर दिया । हमें भी चाहिये कि अगर किसी मुसलमान को परेशानी या किसी मुसीबत में मुब्तला देखें और उस की ह़ाजत पूरी करने की इस्तित़ाअ़त रखती हों, तो उस की मुश्किलात दूर करने की कोशिश करें । वोह शख़्स बड़ा ही ख़ुश नसीब है जो मोह़्ताजों की मदद करता, ग़रीबों की दाद रसी करता, ग़मगीनों की ग़म गुसारी और परेशान ह़ालों की परेशानी दूर करता है क्यूंकि जो मख़्लूक़ पर रह़म करता है, अल्लाह करीम भी उस पर रह़मो करम की ऐसी बारिश फ़रमाता है कि उस की ज़िन्दगी में हर त़रफ़ बहारें ही बहारें आ जाती हैं । आइये ! इस बारे में दो फ़रामैने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनती हैं ।