Shan e Usman e Ghani

Book Name:Shan e Usman e Ghani

रुक़य्या और ह़ज़रते सय्यिदतुना उम्मे कुल्सूम (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا) आईं, इसी वज्ह से आप को "ज़ुन्नूरैन" कहा जाता है । (تھذیب الاسماء، باب العین والثاء المثلۃ، ج۱، ص۴۵۳)

दूसरा लक़ब "जामेउ़ल क़ुरआन"

          आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ का एक लक़ब "जामेउ़ल क़ुरआन" भी है । अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना अबू बक्र सिद्दीक़ رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने अपने अ़ह्द में अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना उ़मर फ़ारूके़ आ'ज़म رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ के मशवरे से मुतफ़र्रिक़ मक़ामात से क़ुरआने पाक के तमाम सह़ाइफ़ जमा कर लिये थे मगर इस में तीन काम बाक़ी थे, जम्अ़ किये गए सह़ाइफ़ को एक मुस्ह़फ़ में नक़्ल करना फिर उस एक मुस्ह़फ़ के मुख़्तलिफ़ नुस्खे़ इस्लामी मुमालिक के बडे़ बड़े शहरों में तक़्सीम करना और सब को लह्जए क़ुरैश पर पढ़ने का हु़क्म देना । येह तीनों काम अल्लाह पाक ने अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना उ़स्माने ग़नी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से लिये और क़ुरआने अ़ज़ीम का जम्अ़ करना वा'दए इलाहिय्या के मुत़ाबिक़ ताम्म व कामिल (या'नी मुकम्मल) हुवा । इस लिये अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना उ़स्माने ग़नी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ को "जामेउ़ल क़ुरआन" कहते हैं ।

 (फ़तावा रज़विय्याजि. 26, स. 452, फ़ैज़ाने सिद्दीके़ अक्बर, स. 419, मुलख़्ख़सन)

तीसरा लक़ब "मुजह्हिज़ु जैशिल उ़सरह"

        आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ का एक लक़ब "मुजह्हिज़ु जैशिल उ़सरह" भी है, जिस का मा'ना है तंगी वाले लश्कर की माली मुआवनत करने वाला । जंगे तबूक के मौक़अ़ पर जो इस्लामी लश्कर तय्यार हुवा था उसे "जैशिल उ़सरह" कहा जाता है क्यूंकि ग़ज़्वए तबूक निहायत ही दुशवार मक़ाम और शदीद गर्मी के मौसिम में हुवा । ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुर्रह़मान बिन ख़ब्बाब رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से मरवी है कि मैं बारगाहे नबवी عَلٰی صَاحِبِہَا الصَّلٰوۃُ وَالسَّلاَم में ह़ाज़िर था और हु़ज़ूरे अकरम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ, सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان को "जैशे उ़सरत" (या'नी ग़ज़्वए तबूक) की तय्यारी के लिये तरग़ीब इरशाद फ़रमा