Tarke Jamat Ki Waeeden

Book Name:Tarke Jamat Ki Waeeden

रोज़ी में बरकत का ज़रीआ है और अ़ज़ाबे क़ब्र से बचाने के साथ साथ अन्धेरी क़ब्र का चराग़ भी है । इस के बर अ़क्स जो लोग नमाज़ नहीं पढ़ते उन के लिये सख़्त अ़ज़ाबात की वई़दें भी हैं । आज के हफ़्तावार इजतिमाअ़ में हम नमाज़ की अहम्मिय्यत, नमाज़ की फ़ज़ीलत और नमाज़ न पढ़ने के अ़ज़ाबात के बारे में सुनेंगी । आइये ! पहले एक ह़िकायत सुनिये । चुनान्चे,

ह़ज़रते सय्यिदुना ह़ातिमे असम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की नमाज़

        ह़ज़रते सय्यिदुना ह़ातिमे असम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ एक मरतबा ह़ज़रते आसिम बिन यूसुफ़ मुह़द्दिस رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ से मुलाक़ात के लिये तशरीफ़ ले गए, तो ह़ज़रते आसिम बिन युसूफ़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने उन से फ़रमाया कि ऐ ह़ातिम ! क्या तुम अच्छी त़रह़ नमाज़ पढ़ते हो ? तो आप ने फ़रमाया : जी हां ! तो ह़ज़रते आसिम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने पूछा : आप बताइये कि आप किस त़रह़ नमाज़ पढ़ते हैं ? तो ह़ज़रते ह़ातिम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने फ़रमाया कि जब नमाज़ का वक़्त क़रीब हो जाता है, तो मैं निहायत कामिल व मुकम्मल त़रीके़ से वुज़ू करता हूं फिर नमाज़ का वक़्त आ जाने पर जब मुसल्ले पर क़दम रखता हूं, तो इस त़रह़ खड़ा होता हूं कि मेरे बदन का हर जोड़ अपनी जगह पर बर क़रार हो जाता है फिर मैं अपने दिल में येह तसव्वुर जमाता हूं कि ख़ानए का'बा मेरे दोनों भंवों के दरमियान और मक़ामे इब्राहीम मेरे सीने के सामने है फिर मैं अपने दिल में येह यक़ीन रखते हुवे कि अल्लाह पाक मेरी ज़ाहिरी ह़ालत और मेरे दिल में छुपे हुवे तमाम ख़यालात को जानता है, इस त़रह़ खड़ा होता हूं कि गोया पुल सिरात़ पर मेरे क़दम हैं और जन्नत मेरे दाहने और जहन्नम मेरे बाएं (जानिब) और मलकुल मौत मेरे पीछे हैं और गोया येही नमाज़ मेरी ज़िन्दगी की आख़िरी नमाज़ है, इस के बा'द तक्बीरे तह़रीमा निहायत ही इख़्लास के साथ कहता हूं फिर इन्तिहाई तदब्बुर और ग़ौरो फ़िक्र के साथ क़िराअत करता हूं फिर निहायत ही तवाज़ोअ़ (या'नी आजिज़ी) के साथ रुकूअ़ और गिड़गिड़ाते हुवे इन्केसारी के साथ सजदा करता हूं फिर इसी त़रह़ पूरी नमाज़ निहायत ही ख़ुज़ूअ़ व ख़ुशूअ़ के साथ ख़ौफ़ो