Tarke Jamat Ki Waeeden

Book Name:Tarke Jamat Ki Waeeden

एक हज़ार दिन की नेकियां

جَزَی اللّٰہُ عَنَّا مُحَمَّدًا مَا ھُوَ اَھْلُہٗ

          ह़ज़रते सय्यिदुना इबने अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا से रिवायत है कि सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : इस को पढ़ने वाले के लिये सत्तर फ़िरिश्ते एक हज़ार दिन तक नेकियां लिखते हैं ।  (  (مَجْمَعُ الزَّوَائِد

गोया शबे क़द्र ह़ासिल कर ली

फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ : जिस ने इस दुआ को 3 मरतबा पढ़ा, तो गोया उस ने शबे क़द्र ह़ासिल कर ली । (تاریخ ابنِ عساکر،۱۹/۱۵۵،حدیث:۴۴۱۵)

दुआ येह है :

لَآ اِلٰہَ اِلَّااللہُ الْحَلِیْمُ الْکَرِیْمُ ،سُبحٰنَ اللہ ِ رَبِّ السَّمٰوٰتِ السَّبْعِ وَرَبِّ الْعَرْشِ الْعَظِیْم

(या'नी ख़ुदाए ह़लीम व करीम के सिवा कोई इ़बादत के लाइक़ नहीं । अल्लाह पाक, पाक है जो सातों आसमानों और अ़र्शे अ़ज़ीम का परवर दगार है)

(फ़ैज़ाने सुन्नत, जिल्द अव्वल, स. 1163-1164)