Book Name:Tarke Jamat Ki Waeeden
ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! फ़ुलांनी औरत के मुतअ़ल्लिक़ ज़िक्र किया जाता है कि नमाज़ व रोज़ा, सदक़ा कसरत से करती है मगर येह बात भी है कि वोह अपने पड़ोसियों को ज़बान से तक्लीफ़ पहुंचाती है । फ़रमाया : वोह जहन्नम में है । उन्हों ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! फ़ुलांनी औरत की निस्बत ज़ियादा ज़िक्र किया जाता है कि उस के (नफ़्ली) रोज़ा व सदक़ा व नमाज़ में कमी है, वोह पनीर के टुक्ड़े सदक़ा करती है और अपनी ज़बान से पड़ोसियों को ईज़ा नहीं देती । फ़रमाया : वोह जन्नत में है । (مُسندِ اِمام احمد،۳/۴۴۱،حدیث:۹۶۸۱)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
दा'वते इस्लामी के हफ़्तावार
सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में पढ़े जाने वाले
6 दुरूदे पाक और 2 दुआएं
{1} शबे जुमुआ का दुरूद :
اَللّٰہُمَّ صَلِّ وَسَلِّمْ وَبَارِکْ عَلٰی سَیِّدِنَامُحَمَّدِنِ النَّبِیِّ الْاُمِّیِّ الْحَبِیْبِ الْعَالِی الْقَدْرِالْعَظِیْمِ
وَعَلٰی اٰلِہٖ وَصَحْبِہٖ وَسَلِّمْ الْجَاہِ
बुज़ुर्गों ने फ़रमाया कि जो शख़्स हर शबे जुमुआ (जुमुआ और जुमा'रात की दरमियानी रात) इस दुरूद शरीफ़ को पाबन्दी से कम अज़ कम एक मरतबा पढे़गा, तो मौत के वक़्त सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ियारत करेगा और क़ब्र में दाख़िल होते वक़्त भी यहां तक कि वोह देखेगा कि सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ उसे क़ब्र में अपने रह़मत भरे हाथों से उतार रहे हैं । (اَفْضَلُ الصَّلَوات عَلٰی سَیِّدِ السّادات ص١٥١ملخصًا)
{2} तमाम गुनाह मुआफ़ :
اَللّٰہُمَّ صَلِّ عَلٰی سَیِّدِ نَا وَمَوْلَانَا مُحَمَّدٍ وَّعَلٰی اٰلِہٖ وَسَلِّمْ