Tarke Jamat Ki Waeeden

Book Name:Tarke Jamat Ki Waeeden

तो बाक़ियों में जो सब से पहली है, इसी त़रह़ ज़ोहर वग़ैरा हर नमाज़ में निय्यत करे । जिस पर बहुत सी नमाज़ें क़ज़ा हों उस के लिये सूरते तख़्फ़ीफ़ और जल्द अदा होने की येह है कि ख़ाली रक्अ़तों (या'नी ज़ोहर, अ़स्र और इ़शा की आख़िरी दो और मग़रिब की आख़िरी एक रक्अ़त) में बजाए "اَلْحَمْد" शरीफ़ के तीन बार "سُبْحٰنَ اللہ" कहे, अगर एक बार भी कह लेगा, तो फ़र्ज़ अदा हो जाएगा नीज़ तस्बीह़ाते रुकूअ़ व सुजूद में सिर्फ़ एक एक बार سُبْحٰنَ رَبِّیَ الْعَظِیْم और سُبْحٰنَ رَبِّیَ الْاَعْلٰی पढ़ लेना काफ़ी है । तशहहुद के बा'द दोनों दुरूद शरीफ़ के बजाए اَللّٰھُمَّ صَلِّ عَلیٰ سَیِّدِنَا مُحمَّدٍ وَّاٰلِہٖ, वित्र में बजाए दुआए क़ुनूत के رَبِّ اغْفِرْلِیْ कहना काफ़ी है । त़ुलूए़ आफ़्ताब के बीस मिनट बा'द और ग़ुरूबे आफ़्ताब से बीस मिनट क़ब्ल नमाज़ अदा कर सकता है, इस से पहले या इस के बा'द नाजाइज़ है । हर ऐसा शख़्स जिस के ज़िम्मे नमाज़ें बाक़ी हैं, छुप कर पढ़े कि गुनाह का ए'लान (या'नी इज़्हार) जाइज़ नहीं । अल्लाह पाक हम सब को नमाज़ों की पाबन्दी और क़ज़ा शुदा नमाज़ों की अदाएगी करने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

पड़ोसी के मदनी फूल

        मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! आइये ! शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "क़ियामत का इम्तिह़ान" से पड़ोसी के चन्द मदनी फूल सुनती हैं । दो फ़रामैने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ :

1.   अल्लाह पाक के नज़दीक बेहतरीन पड़ोसी वोह है जो अपने पड़ोसी का ख़ैर ख़्वाह हो । ( تِرمِذی،۳/۳۷۹ ،حدیث:۱۹۵۱)

2.   जिस ने अपने पड़ोसी को ईज़ा दी, उस ने मुझे ईज़ा दी और जिस ने मुझे ईज़ा दी, उस ने अल्लाह पाक को ईज़ा दी । (اَلتَّرغِیب وَالتَّرہِیب،۳/۲۴۱،حدیث:۱۳)