Tarke Jamat Ki Waeeden

Book Name:Tarke Jamat Ki Waeeden

फ़रमाते हैं : तंग ज़िन्दगानी येह है कि हिदायत का इत्तिबाअ़ (या'नी पैरवी) न करने से अ़मले बद और ह़राम में मुब्तला हो या क़नाअ़त से मह़रूम हो कर गिरिफ़्तारे ह़िर्स (या'नी लालच में गिरिफ़्तार) हो जाए और कसरते मालो अस्बाब से भी उस को फ़राख़े ख़ात़िर (या'नी कुशादा दिली) और सुकूने क़ल्ब मुयस्सर न हो, दिल हर चीज़ की त़लब में आवारा हो और ह़िर्स के ग़मों से कि "येह नहीं, वोह नहीं" ह़ाल तारीक और वक़्त ख़राब रहे और मोमिने मुतवक्किल की त़रह़ उस को सुकून व फ़राग़ ह़ासिल ही न हो, जिस को ह़याते त़य्यिबा कहते हैं । ह़ज़रते इबने अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا ने फ़रमाया कि बन्दे को थोड़ा मिले या बहुत अगर ख़ौफे़ ख़ुदा नहीं, तो उस में कुछ भलाई नहीं और येह तंग ज़िन्दगानी है ।

          मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! अल्लाह पाक की याद से मुंह फेरने की आफ़तें किस क़दर शदीद हैं कि इन्सान की मई़शत तंग हो जाएगी, वोह नाजाइज़ व ह़राम कामों में मुब्तला हो जाएगा, क़नाअ़त की दौलत छीन जाएगी और ह़िर्स की भयानक आग हर त़रफ़ से उसे अपनी लपेट में ले लेगी, जितना भी कमा लेगा उस की ह़िर्स की आग नहीं बुझेगी, वोह माल को पुर सुकून ज़िन्दगी का ज़रीआ समझेगा मगर दौलत व शोहरत ह़ासिल होने के बा वुजूद उसे क़ल्बी सुकून ह़ासिल न होगा, आराम देह बिस्तर तो होगा लेकिन चैन की नींद मुयस्सर न होगी, ख़्वाहिशात का सैलाब उस के सब्रो शुक्र और ख़ुशियों की इ़मारत को बहा ले जाएगा और त़रह़ त़रह़ के ग़म उस की ज़िन्दगी को तारीक कर देंगे, ग़रज़ ! येह कि ऐसा शख़्स सुकून की दौलत से मह़रूम रहेगा ।

          मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! इन तमाम आयाते मुबारका और अह़ादीसे मुक़द्दसा को सुनने के बा'द हमें येह अ़हद करना चाहिये कि اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ  وَجَلَّ आइन्दा हमारी कोई नमाज़ क़ज़ा नहीं होगी बल्कि आज तक जितनी नमाज़ें क़ज़ा हुई हैं, सच्ची तौबा कर के उन्हें अदा करेंगी । اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ  وَجَلَّ