Book Name:Tarke Jamat Ki Waeeden
ह़दीसे पाक में है : اَوَّلُ مَایُحَاسَبُ بِہِ الْعَبْدُ یَوْمَ الْقِیَامَۃِ صَلَا تُہ कल क़ियामत के दिन बन्दे से सब से पहले उस की नमाज़ के बारे में सुवाल होगा । इस ह़दीसे पाक के तह़त ह़ज़रते अ़ल्लामा अ़ब्दुर्रऊफ़ मनावी عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالْقَوِی फ़रमाते हैं कि बेशक "नमाज़" ईमान की अ़लामत और अस्ल इ़बादत है । (التیسیرشرح جامع الصغیر،١/٣٩١)
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! इस्लाम में जो अहम्मिय्यत नमाज़ को ह़ासिल है, वोह किसी और इ़बादत को ह़ासिल नहीं, नमाज़ अरकाने इस्लाम में से एक अहम तरीन रुकन है । अल्लाह पाक के प्यारे नबी ह़ज़रते सय्यिदुना इब्राहीम ख़लीलुल्लाह عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام ने तो अपने लिये और अपनी औलाद के लिये नमाज़ के बारे में बा क़ाइ़दा दुआ भी फ़रमाई थी, जिस का तज़किरा क़ुरआने पाक में भी है । चुनान्चे, पारह 13, सूरए इब्राहीम की आयत नम्बर 40 में है :
رَبِّ اجْعَلْنِیْ مُقِیْمَ الصَّلٰوةِ وَ مِنْ ذُرِّیَّتِیْ ﳓ رَبَّنَا وَ تَقَبَّلْ دُعَآءِ(۴۰) (پ ۱۳،ابراہیم:۴۰)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : ऐ मेरे रब ! मुझे और कुछ मेरी औलाद को नमाज़ क़ाइम करने वाला रख और ऐ हमारे रब ! और मेरी दुआ क़बूल फ़रमा ।
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! देखा आप ने ! ह़ज़रते सय्यिदुना इब्राहीम عَلَیْہِ السَّلَام, अल्लाह पाक के बर गुज़ीदा नबी होने के बा वुजूद अपने और अपनी औलाद के लिये नमाज़ क़ाइम रखने की दुआ फ़रमा रहे हैं । लिहाज़ा हमें भी नमाज़ की अहम्मिय्यत को समझते हुवे न सिर्फ़ ख़ुद पांचों नमाज़ें पाबन्दी के साथ अदा करनी चाहियें बल्कि अपने समझदार बच्चों को भी इस की तरग़ीब दिलानी चाहिये । ह़दीसे पाक में भी छोटी उ़म्र से बच्चों को नमाज़ की रग़बत दिलाने का ह़ुक्म दिया गया है । जैसा कि :
ताजदारे रिसालत, शहनशाहे नुबुव्वत صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने तरबिय्यत निशान है : जब तुम्हारे बच्चे सात बरस के हों, तो उन्हें नमाज़ का ह़ुक्म दो और जब दस बरस के हो जाएं (और फिर भी नमाज़ न पढ़ें) तो मार कर पढ़ाओ । (سنن ابی داود، کتاب الصلاة ، باب متی يؤمر الغلام بالصلاة ، الحدیث: ۴۹۵، ج۱، ص۲۰۸)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد